
जैसे जैसे उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे ही पार्टीयों में आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है।कांग्रेसी के दिग्गज नेता हरदा सोशल मीडिया पर लगातार
एक्टिव रहते हैं और लगातार कुछ ऐसे पोस्ट डालते रहते हैं
जिनसे सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज़ हो जाती हैं।
अब हरदा की एक फेसबुक पोस्ट वायरल हो रही है। जिसमें वो
आरोप लगा रहे है कि एक पूर्व नौकरशाह सत्तारूढ़ दल समेत
तीन सियासी दलों के लिए उगाही कर रहा है। उन्होंने खनन से हो रही उगाही को जमकर आपस में बांटने की बात लिखी है।कभी अपने साथ लोगों के द्वेष को देखकर मन करता है कि सब
किस बात के लिए और फिर मैं तो राजनीति में वो सब प्राप्त
कर चुका हूं, जिस लायक में था। फिर मन में एक भाव आ रहा
है, सभी लड़ाईयां चाहे वो राजनैतिक क्यों न हों, वो स्वयं सिद्धि
के लिए नहीं होती हैं। सिद्धांत, पार्टी, समाज, देश, प्रांत कई
तरीके के समर्पण मन में उभर करके आते हैं। कुछ लड़ाईयाँ
उसके लिए भी लड़नी पड़ती हैं, चाहे उसको लड़ते-2 युद्ध भूमि
में ही दम क्यों न निकल जाय! मेरे सामने भी पार्टी, पार्टी के
सिद्धांत, पार्टी का नेतृत्व उत्तराखंड, उत्तराखंडियत, राज्य
आंदोलन के मूल तत्वों की रक्षा आदि कई सवाल हैं।
मैं जानता हूं कि केंद्र में सत्तारूढ़ दल, मेरे ऊपर कई प्रकार के अत्याचार ढहाने की कोशिश करेगा, उसकी तैयारियां हो रही हैं, मुझे आभास है और पुख्ता आभास है, मगर ज्यों-2 ऐसा आभास
बढ़ता जा रहा है, चुनाव में लड़ने की मेरी संकल्प शक्ति भी
बढ़ती जा रही है। मेरी राह को रोकने के लिए एकजुट हो रहे हैं।क्योंकि जिस तरीकेका उत्तराखंड मैंने बनाने की कोशिश की है, वो बहुत सारे लोगों के राजनैतिक व आर्थिक स्वार्थों पर चोट करता है।
एक रिटायर्ड नौकरशाह आजकल सत्तारूढ़ दल ही नहीं बल्कि
तीन-तीन राजनीतिक दलों के लिये एक साथ राजनीतिक उगाही
कर रहे हैं, खनन की उगाही भी बंट रही है। उत्तराखंड में बहुत
सारे लोगों के आर्थिक स्वार्थ जुड़े हुए हैं, उन लोगों को भी
एकजुट करने का प्रयास हो रहा है ताकि वो कुछ मदद सत्तारूढ़
दल की करें और तो कुछ कद्दू कटेगा-बटेगा के सिद्धांत पर कुछ
आवाजों को बंद करने के लिए उनमें बांट दें।
यदि सत्तारूढ़ दल मुझे युद्ध भूमि में राजनैतिक अस्त्रों से प्रास्त करने के बाद अन्यान्य अस्त्रों की खोज में है तो दूसरी तरफ एक राजनैतिक दल किसान और कुछ राजनैतिक स्वार्थों के साथ राजनैतिक दुरासंधि हो रही है। मगर मेरे पास जितनी शक्ति बाकी बची है, उससे उत्तराखण्ड और उत्तराखंडियत की रक्षा व पार्टी की मजबूती के लिए मैं अपने व्यक्तिगत कष्ट, मान-अपमान और यातनाओं को झेलने के लिए तैयार हूं।