उत्तराखंड

शेक्सपियर जयंती पर अंग्रेजी विभाग की विभागीय परिषद द्वारासंवाद वाचन और पोस्टर प्रतियोगिता का सफल आयोजन

शेक्सपियर जयंती पर अंग्रेजी विभाग की विभागीय परिषद द्वारासंवाद वाचन और पोस्टर प्रतियोगिता का सफल आयोजन।

विलियम शेक्सपियर की जयंती के उपलक्ष्य में राजेंद्र सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की विभागीय परिषद द्वारा 23 अप्रैल 2025 को एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें संवाद वाचन प्रतियोगिता और पोस्टर प्रतियोगिता शामिल थीं। इस आयोजन का उद्देश्य शेक्सपियर की साहित्यिक प्रतिभा को सम्मानित करना और छात्रों को विभिन्न भाषाओं और विधाओं में साहित्य के प्रति रुचि के लिए प्रेरित करना था।

महाविद्यालय में पहली बार अंग्रेज़ी, हिंदी और संस्कृत – तीनों भाषा विभागों के विद्यार्थियों ने एक साथ संवाद वाचन प्रतियोगिता में भाग लिया। हिंदी और संस्कृत विभाग के छात्रों ने शेक्सपियर के प्रसिद्ध संवादों के अनुवादों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया, जबकि अंग्रेज़ी विभाग के छात्रों ने मूल संवादों का नाटकीय अंदाज़ में वाचन किया। यह बहुभाषी प्रस्तुति शेक्सपियर की रचनाओं की सार्वभौमिकता और विभिन्न भाषाओं की समृद्धि को दर्शाती है।

इसके साथ ही, “अंग्रेज़ी के साहित्यिक व्यक्तित्वों का सम्मान” विषय पर एक पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें छात्रों ने शेक्सपियर सहित अनेक प्रसिद्ध लेखकों, कवियों और नाटककारों पर आधारित रचनात्मक और कलात्मक पोस्टर प्रस्तुत किए। प्रस्तुतियों में साहित्यिक समझ और कलात्मक प्रतिभा की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई दी।

हिंदी विभाग के विभाग अध्यक्ष दया प्रसाद गैरोला ने छात्र-छात्राओं को साहित्यिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने पुस्तकों पर अपनी एक स्वरचित रचना का पाठ कर छात्राओं को पुस्तकों के महत्व के बारे में बताते हुए उन्हें सभी भाषाओं में पढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि हिंदी साहित्य में कवियों, लेखकों और विचारकों ने समाज को दिशा दी है। हिंदी एक सेतु की तरह कार्य करती है जो विविध भाषी क्षेत्रों को जोड़ती है। यह जनमानस की भावना को सरल और प्रभावशाली ढंग से प्रकट करती है। संस्कृत विभाग के विभाग अध्यक्ष दिनेश शाह ने छात्र-छात्राओं को संस्कृत के महत्व एवं समसामयिक प्रासंगिकता पर उद्बोधित करते हुए उन्हें संस्कृत भाषा के अध्ययन के लिए प्रेरित किया। दिनेश शाह ने बताया कि संस्कृत को विश्व की सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक भाषाओं में से एक माना जाता है। यह न केवल वैदिक ग्रंथों और शास्त्रों की भाषा है, बल्कि इसमें दर्शन, गणित, आयुर्वेद, ज्योतिष और व्याकरण का विशाल भंडार संचित है। संस्कृत में भाषा की स्पष्टता, व्याकरण की शुद्धता और अभिव्यक्ति की क्षमता अद्वितीय है। इसके अध्ययन से न केवल भारतीय संस्कृति की गहराई को समझा जा सकता है, बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं की जड़ों को भी जाना जा सकता है।

अंग्रेजी विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ अंजू भट्ट ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा की हिंदी संस्कृत और अंग्रेजी तीनों भाषाओं का संतुलित और सम्मिलित विकास आज की आवश्यकता है। उन्होंने छात्रों को साहित्यिक अभिरुचि विकसित करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा की शेक्सपियर द्वारा रचित कालजई रचनाएं समय और भाषा से परे हैं। शेक्सपियर को पढ़ना और उसके विचारों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास युग युगांतर से विश्व के साहित्यिक पटल पर होता आया है। अंग्रेजी विभागीय परिषद के इस अभिनव पहल ने यह साबित किया की तीनों भाषाओं का संतुलित और सम्मिलित विकास आज की आवश्यकता है। संस्कृत हमें सांस्कृतिक और बौद्धिक गहराई प्रदान करती है, हिंदी जनसामान्य से जुड़ाव बनाती है, और अंग्रेज़ी हमें वैश्विक मंच से जोड़ती है। यदि शिक्षण संस्थानों में इन तीनों भाषाओं को समान रूप से बढ़ावा दिया जाए, तो विद्यार्थी न केवल अपने देश की जड़ों से जुड़े रहेंगे, बल्कि विश्व के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ सकेंगे।

संस्कृत, हिंदी और अंग्रेज़ी – तीनों भाषाएँ हमारे भाषाई और सांस्कृतिक ताने-बाने के आवश्यक स्तंभ हैं। इनका समन्वय और संतुलित विकास न केवल भारत को भाषाई दृष्टि से समृद्ध बनाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक और वैश्विक दृष्टिकोण से परिपूर्ण नागरिक बनाने में सहायक होगा।

महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ प्रवेश कुमार, विनय शर्मा दया प्रसाद गैरोला, दिनेश शाह एवं डॉक्टर पुष्पेंद्र कुमार ने निर्णायक मंडल के सदस्य के रूप में अपना योगदान दिया। महाविद्यालय के प्राचार्य विनोद कुमार ने अंग्रेजी विभाग की इस अभिनव पहल पर शुभकामना देते हुए भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन महाविद्यालय में कराए जाने पर बल दिया।

यह नवाचारी आयोजन महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों, छात्रों और साहित्य प्रेमियों द्वारा सराहा गया। अंग्रेजी विभाग की विभाग अध्यक्ष एवं इस कार्यक्रम की संयोजिका डॉक्टर अंजु भट्ट ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और भविष्य में भी ऐसे समावेशी और रचनात्मक साहित्यिक कार्यक्रमों को जारी रखने की घोषणा की।

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