उत्तराखंड

नवरात्रि में मंदिर एंव प्राचीन धरोहरों को संजोते संवारते गाँव बत्यूली के लोग

कत्यूरी एंव मल्ल वंश काल के साक्ष्यों को जीवित रखते ग्राम पंचायत बत्यूली के ग्रामीण जन

रिपोर्ट दीपक जोशी: पौराणिक काल में प्रसिद्ध राजवंशों की धरणी कत्यूरी काल हो या मल्ल राजाओं का वंश रहा हो उनका एक रिस्ता ग्राम बत्यूली से रहा है। पौराणिक अभिलेखों में कुमाऊँ के इतिहास में आज भी ग्राम पंचायत बत्यूली का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है।

जनपद पिथौरागढ से लगभग 60 किमी दूर यह गाँव अत्यंत मनोहर प्रकृति के अद्भुत सौन्दर्य से परिपूर्ण है, यहाँ के समस्त ग्रामवासी भक्ति भावना में विश्वास रखते है और नित्य नये नये दैविक कार्य करते रहते है ग्रांम सभा में ब्राह्मण वर्ग में जोशी लोगों का गाँव बत्यूली हे तथा उसके अन्तर्गत राजपूत बाहुल्य क्षेत्र सिमार, डाना, आती है।

पूरे गाँव का माहौल सौहार्द पूर्ण है यहाँ सभी लोगों छुरमल देव को अपना अराध्य देव मानते है और नवरात्रि में नवमी तिथि को यहाँ छुरमल देव के मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, छुरमल मंदिर मुख्यतः तीन बडी ग्रांमसभों का मंदिर है जिसमें मुख्यतः ग्राम सभा बिनायक, डिगौटी चोपडा, व बत्यूली आते है।

यहाँ के मुख्य अधीकृत पुजारी ग्राम सभा बत्यूली के देवी दत्त जोशी है तथा बिनायक के भूपाल चन्द्र उप्रेती है जो विगत कई वर्षों से नित्य पूजन का कार्य कर रहे है, ग्रांम सभा के मंदिर कमेटी के अध्यक्ष भवान सिंह खाती जी एंव पूर्व सैनिक पपू चंद जी द्वारा एंव समाजसेवी गिरीश चन्द्र जोशी द्वारा प्राचीन संस्कृति को बचाने व संरक्षित करने के लिए मुहिम चलाई है।

मंदिरों का नव निर्माण, सौन्दर्यीकरण, का एंव संरक्षण का कार्य किया जा रहा है, ग्राम सभा बत्यूली को और अधिक आकर्षक एंव भव्य पर्यटन की दृष्टि से और अधिक सुंदर एंव रमणीय बनाने हेतु नयी नये कार्यक्रम ग्रामीणों द्वारा किये जा रहे है, क्षेत्र के प्रमुख समाजसेवी जीवन सिंह बोरा द्वारा वर्तमान में गाँव को सडक मार्ग से जोडने एंव संम्पर्क मार्गों को बनाने का कार्य किया जा रहा है जिससे कि इस गाँव में देश विदेश के पर्यटक आयें और गाँव का विकास हो इस कार्य को कर रहे है सभी क्षेत्र की जनता कुछ ना कुछ प्रयास इस गाँव को सुंदर एंव आकर्षक बनाने हेतु दिन रात कार्य कर रहे है।

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