उत्तराखंड

ब्रेकिंग : पॉक्सो और दुष्कर्म के गंभीर आरोपों में घिरे मुकेश सिंह बोरा को हाईकोर्ट से सशर्त जमानत

पॉक्सो और दुष्कर्म के गंभीर आरोपों में घिरे मुकेश सिंह बोरा को हाईकोर्ट से सशर्त जमानत

रिपोर्टर गौरव गुप्ता।

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट एवं दुष्कर्म के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे लालकुआ दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा को सशर्त जमानत दे दी है। आरोपी पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत थाना लालकुआं, जिला नैनीताल में पंजीकृत मामले में न्यायिक हिरासत में था। जमानत याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की एकलपीठ में हुई । मामले के अनुसार दुष्कर्म पीड़िता, जो एक विधवा महिला है, 2021 में नौकरी की तलाश में थी। इस दौरान उसने नैनीताल दुग्ध संघ, लालकुआं में नौकरी पाने के लिए आरोपी मुकेश सिंह बोरा से संपर्क किया, जो संघ के अध्यक्ष हैं। अभियुक्त ने उसे स्थायी नौकरी देने के बहाने 10 नवंबर 2021 को ज़ायका होटल, काठगोदाम बुलाया और वहां बलपूर्वक दुष्कर्म किया। आरोप है कि आरोपी ने इस घटना के आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बना लिए और उसे धमकी दी कि यदि उसने इस घटना की जानकारी किसी को दी तो वह इसे वायरल कर देगा और उसकी अस्थायी नौकरी भी छीन लेगा।

पीड़िता के अनुसार, आरोपी ने 26 दिसंबर 2021 को फिर से होटल ज़ायका में बुलाकर दुष्कर्म किया। इसके अलावा, आरोपी ने पीड़िता पर अपने दोस्तों के साथ शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डाला, लेकिन उसके मना करने पर, अभियुक्त के ड्राइवर कमल बेलवाल ने उसे जान से मारने की धमकी दी।
इसके अलावा, अभियुक्त पर यह भी आरोप है कि उसने पीड़िता की नाबालिग बेटी का भी यौन उत्पीड़न किया। इस संबंध में अभियुक्त के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम की धारा 9(m)/10 जोड़ी गई।

अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें

आरोपी के वरिष्ठ अधिवक्ता ने दलील दी कि एफआईआर में अत्यधिक देरी हुई, क्योंकि कथित घटनाएं 2021 में हुईं, लेकिन मामला सितंबर 2024 में दर्ज हुआ। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि पीड़िता ने अपने बयान में बार-बार बदलाव किया गया, जिससे मामले की सत्यता पर संदेह उत्पन्न होता है। वहीं, राज्य के उप महाधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि मामले में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं और आरोपी ने जांच में सहयोग नहीं किया।

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, न्यायालय ने मुकेश सिंह बोरा को जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने कहा है कि आरोपी जांच एजेंसी के साथ पूरा सहयोग करेगा और जब भी आवश्यक हो, जांच में उपस्थित होगा। वह किसी भी प्रकार से पीड़िता या उसकी नाबालिग बेटी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेगा। साथ ही बिना न्यायालय की अनुमति के देश नहीं छोड़ सकेगा।

यदि आरोपी के पास पासपोर्ट है, तो उसे न्यायालय के समक्ष जमा करना होगा। यदि पासपोर्ट नहीं है, तो इस संबंध में हलफनामा दाखिल करना होगा। इस निर्णय के बाद मुकेश सिंह बोरा को व्यक्तिगत मुचलके एवं दो विश्वसनीय जमानतदारों की गारंटी पर रिहा किया जाएगा। हालांकि, मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, न्यायालय की लागू शर्तों का कड़ाई से पालन करना आवश्यक होगा।

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