उत्तराखंड

भाई दूज पर इस वर्ष बन रहा है दुर्लभ आयुष्मान योग: डॉ० (प्रो०) डी० सी० पसबोला “दैवज्ञ”

भाई दूज पर इस वर्ष बन रहा है दुर्लभ आयुष्मान योग: डॉ० (प्रो०) डी० सी० पसबोला “दैवज्ञ”

देहरादून।

भाई दूज पर इस वर्ष आयुष्मान योग का दुर्लभ संयोग है, जो भाइयों को दीर्घायु और बहनों को सौभाग्य प्रदान करेगा। भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा, और तिलक के लिए दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक का शुभ मुहूर्त है, जिसमें राहुकाल (दोपहर 1:30 से 2:54) का ध्यान रखना आवश्यक है।

भाई दूज और आयुष्मान योग:

23 अक्टूबर, 2025
विषय: इस वर्ष भाई दूज पर आयुष्मान योग का शुभ संयोग
इस वर्ष कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले भाई दूज के पर्व पर एक दुर्लभ और शुभ योग का संयोग बन रहा है। इस दिन आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है, जिसके कारण भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम और समृद्धि और भी अधिक बढ़ेगी।

शुभ मुहूर्त:

तिलक का शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक।

राहुकाल: इस दौरान भाईदूज का तिलक करने से बचें, क्योंकि यह दोपहर 1:30 बजे से 2:54 बजे तक है।

ज्योतिषीय महत्व:

आयुष्मान योग:

यह योग पूरे दिन रहेगा और 24 अक्टूबर की सुबह 5 बजे समाप्त होगा। इस योग में बहनें अपने भाईयों के लिए दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

यम द्वितीया:

भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। यमुना ने उनका सत्कार कर तिलक लगाया, जिससे प्रसन्न होकर यमराज ने भाईयों को दीर्घायु होने का वरदान दिया।

शिववास योग:

इस पर्व पर शिववास योग का भी संयोग है, जो पारिवारिक सौहार्द और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

परंपरा और रीति-रिवाज:

इस शुभ अवसर पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और खुशहाली की कामना करती हैं।

भाई भी अपनी बहनों को उपहार देकर उनकी रक्षा का वचन देते हैं।

इस दिन दान-पुण्य और यम दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है।

यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते के अटूट बंधन का प्रतीक है और इस वर्ष के शुभ योग इसे और भी महत्वपूर्ण बना रहे हैं।

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