उत्तराखंड

सियासी हलचल तेज — 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर बढ़ी दावेदारी, स्थानीय बनाम बाहरी प्रत्याशी की जंग

लालकुआं में सियासी हलचल तेज — 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर बढ़ी दावेदारी, स्थानीय बनाम बाहरी प्रत्याशी की जंग।

भाजपा–कांग्रेस दोनों दलों में टिकट को लेकर शुरू हो गया कयासबाजी का खेल। किस पर भरोसा करेगी लालकुआं की जनता?

रिपोर्टर गौरव गुप्ता। लालकुआं

2027 के विधानसभा चुनाव में अभी वक्त बाकी है, लेकिन लालकुआं की राजनीति इस समय गर्माहट के चरम पर है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में टिकट की दौड़ में स्थानीय और बाहरी नेताओं की सक्रियता तेजी से बढ़ी है। सियासी समीकरण इस बार पूरी तरह से “स्थानीय बनाम बाहरी” प्रत्याशी की जंग में तब्दील होते नजर आ रहे हैं।
भाजपा में कई दावेदार संगठन के भीतर बढ़ा सियासी घमासान।

भाजपा में इस बार टिकट को लेकर प्रतिस्पर्धा बेहद दिलचस्प हो गई है।

पार्टी के मुख्य संभावित दावेदारों में डा. मोहन बिष्ट (वर्तमान विधायक), पूर्व विधायक नवीन दुमका, राज्य आंदोलनकारी उमेश शर्मा, नगर पंचायत लालकुआं के पूर्व अध्यक्ष पवन चौहान, युवा नेता कमलेश चंदोला, और हिंदूवादी नेता कमल जोशी (मुनीजी) के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं।

इनमें कुछ स्थानीय स्तर पर सक्रिय हैं तो कुछ प्रदेश राजनीति से जुड़े प्रभावशाली चेहरे हैं, जो लालकुआं में अपनी जमीन तलाश रहे हैं।

पार्टी के भीतर यह स्वर भी उठने लगा है कि इस बार जनता की नब्ज को देखते हुए स्थानीय प्रत्याशी को ही मौका दिया जाना चाहिए।

कांग्रेस में भी तेज हुई तैयारियां, पुराने और नए चेहरों की जुगलबंदी।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में भी टिकट की दौड़ उतनी ही रोचक है।
वरिष्ठ नेता हरेंद्र बोरा, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल के पुत्र हेमवती नंदन दुर्गापाल,महिला नेत्री संध्या डालाकोटी, लालकुआं दुग्ध संघ के पूर्व संचालक और संगठन में ब्लाक अध्यक्ष से लेकर विभिन्न दायित्वों का सफलता पूर्वक निर्वहन कर चुके प्रमोद कालौनी,युवा नेता शंकर जोशी, अनुशासन समिति के अध्यक्ष उमेश कबड़वाल,राजेंद्र खनवाल के साथ ही पिछले कई वर्षों से लालकुआं की जनता के दुख सुख में भागीदारी कर तथा लालकुआं को अपनी कर्मभूमि कह कर लगातार सक्रिय पूर्व सैनिक पूर्व विधायक प्रत्याशी कुंदन सिंह मेहता का नाम इस समय सबसे आगे चल रहे हैं।

कांग्रेस में युवा और अनुभवी नेतृत्व का मिश्रण देखने को मिल रहा है। खास बात यह है कि कुछ चेहरे लगातार क्षेत्रीय कार्यक्रमों में शिरकत कर जनता के बीच अपनी पैठ मजबूत कर रहे हैं।

जनता के बीच ‘स्थानीय नेतृत्व’ की मांग बुलंद
लालकुआं की जनता इस बार बाहरी चेहरों की बजाय स्थानीय नेतृत्व को तरजीह देने के मूड में नजर आ रही है।

बिंदुखत्ता राजस्व गांव के मुद्दे समेत तमाम अन्य विकास कार्यों की गति के अचानक थम जाने की चर्चाओं के बीच मतदाताओं का कहना है कि अब उन्हें केवल हाथ जोड़ने वाला नहीं बल्कि क्षेत्र के विकास को समर्पित जनप्रतिनिधि की जरूरत है लिहाजा अब वह सिर्फ चुनाव के समय लोक लुभावन वादा करने वाले नेताओं के झांसे में आने के बजाय हर समय क्षेत्र विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने वाले नेता को अपना प्रतिनिधत्व सौंपेंगे।

निष्कर्ष — लालकुआं की लड़ाई से यह सीट बनेगी राज्य की सबसे रोचक सीट।

2027 का विधानसभा चुनाव लालकुआं में इस बार सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के बीच नहीं, बल्कि “जनता बनाम विकास की राजनीति” की सीधी जंग होगा।

भाजपा अपने संगठनात्मक सामर्थ्य पर और कांग्रेस जनता से सीधे जुड़ाव पर दांव लगाने की तैयारी में है।

कुल मिलाकर, लालकुआं की यह सियासी जंग उत्तराखंड की सबसे चर्चित सीटों में से एक बनने जा रही है।

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