उत्तराखंड

ए आई को सामाजिक,सांस्कृतिक एवं वैदिक सरोकारों के प्रति उत्तरदाई बनाना होगा: डॉ बर्त्वाल 

ए आई को सामाजिक,सांस्कृतिक एवं वैदिक सरोकारों के प्रति उत्तरदाई बनाना होगा: डॉ बर्त्वाल

रिपोर्ट विनोद गंगोटी।

वैदिक युग से कॉर्पोरेट युग तक जनसंपर्क की उपादेयता और वर्तमान दौर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए आई )की जनसंपर्क में भूमिका को लेकर नया चिंतन काल चल रहा है,हमें इसे अपने सामाजिक, सांस्कृतिक और वैदिक सरोकारों प्रति उत्तरदाई बनाना होगा। यह विचार डॉ विक्रम सिंह बर्त्वाल ने आज” राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस “के अवसर पर छात्रों से संवाद करते हुए व्यक्त किये।

बताते चले कि आज राजकीय महाविद्यालय नरेंद्र नगर के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में विभागीय गतिविधि के अंतर्गत राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस के अवसर पर “प्रसी” पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित विषय ‘ रिस्पांसिबल यूज आफ ए आई: रोल ऑफ़ पब्लिक रिलेशंस’पर छात्रों के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किया।

विभाग प्रभारी डॉ सृचना सचदेवा ने कहा कि पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया 1986 से प्रतिवर्ष 21 अप्रैल को राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस मनाते आ रही है जो की सरकार संगठन तथा जनता के बीच मजबूत संबंधों के लिए आवश्यक है, उन्होंने तकनीकी ज्ञान की समझ विकसित करने के साथ समय के बदलाव के प्रति छात्रों को अपडेट रहने का सुझाव दिया। उन्होंने विशेष तौर पर ए आई के जनसंपर्क में नैतिक व सामाजिक पक्षों के संरक्षण की वकालत की।

इस अवसर पर कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ यू सी मैठाणी ने छात्रों को नवीन तकनीक के संपर्क में रहने का सुझाव दिया। कार्यक्रम में छात्रों के अलावा विभाग के विशाल त्यागी विशेष रूप से मौजूद रहे। संवाद कार्यक्रम का संचालन डॉ विक्रम सिंह बर्त्वाल ने किया।

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