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PM मोदी का Twitter अकाउंट हैक! ट्विटर ने जारी किया बयान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्विटर अकाउंट हैक होने पर ट्विटर ने बयान जारी किया है. ट्विटर ने कहा है कि जैसे ही हमें पीएम मोदी के अकाउंट में सेंध लगने की जानकारी मिली हम तुरंत सक्रिय हो गए. ट्विटर इंडिया ने बयान जारी कर कहा है कि हमारी अबतक की जांच से पता चला है कि इस समय तक किसी अन्य अकाउंट के प्रभावित होने के कोई संकेत नहीं मिले हैं.

ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा कि हमारे पास प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ कम्यूनिकेशन के लिए 24X7 लाइनें खुली हैं. जैसे ही हमें इस हैंकिंग गतिविधि के बारे में पता चला, हमारी टीम ने प्रभावित अकाउंट को सुरक्षित करने के लिए तुरंत  आवश्यक कदम उठाए. ट्विटर ने कहा कि हमारी अबतक की जांच से पता चला है कि इस समय तक किसी और अकाउंट के प्रभावित होने के कोई संकेत नहीं मिले हैं.

सूत्रों के अनुसार अभी ट्विटर की आतंरिक जांच में यह पता चला है कि पीएम मोदी के अकाउंट में लगी सेंध ट्विटर के किसी सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से नहीं हुई थी.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आधिकारिक ट्विटर हैंडर @narendramodi देर रात हैक हो गया था. रात 2 बजकर 11 मिनट पर इससे एक ट्वीट किया गया जिसमें दावा किया कि ‘भारत ने आधिकारिक रूप से बिटकॉइन को कानूनी मान्यता दे दी है और सरकार भी 500 बिटकॉइन खरीदकर लोगों को बांट रही है.’ दो मिनट बाद ही इस ट्वीट को तुरंत डिलीट कर दिया गया और फिर 2 बजकर 14 मिनट पर इसी तरह का एक और ट्वीट किया गया. कुछ देर बाद उस ट्वीट को भी डिलीट कर दिया गया, लेकिन तब तक स्क्रीनशॉट वायरल हो चुके थे.

इस गड़बड़ी के घंटे भर बाद 3 बजकर 18 मिनट पर पीएमओ ने ट्वीट कर बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी के ट्विटर हैंडल से छेड़छाड़ हुई थी, जिसे अब ठीक कर लिया गया है.

हैकिंग में ट्विटर के आंतरिक सिस्टम का इस्तेमाल नहीं

पीएम मोदी के ट्विटर अकाउंट की हैकिंग की ट्विटर द्वारा की गई प्राथमिक जांच में पता चला है कि इस पूरी प्रक्रिया में ट्विटर के आंतरिक सिस्टम का इस्तेमाल नहीं हुआ था. जैसे ही उन्हें इस हैकिंग की जानकारी मिली. ट्विटर की सपोर्ट टीम ने तुरंत जांच शुरू कर दी.

सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार भी इस हैकिंग का पता लगाने में जुट गई है. सरकार इस बात को जानने में जुट गई है कि इस हैकिंग के पीछे कौन था. इसके लिए सरकार ने इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम  CERT-IN को इस काम में लगाया गया है और वो हैकिंग के सोर्स का पता लगाने का कोशिश कर रही है.

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