उत्तराखंड

शुरू हो गई 2027 के लिए जोर आजमाईश

शुरू हो गई 2027 के लिए जोर आजमाईश।
बाहरी विधानसभाओं से आकर लालकुआं से चुनाव लडने का मन बनाए बैठे दावेदारों को लेकर गली मोहल्लों में भांति भांति की चर्चाओं से चड़ने लगा है सियासी पारा।।

लालकुआं। रिपोर्टर गौरव गुप्ता 

विधानसभा चुनाव में अभी दो साल का समय बचा हुआ है, बावजूद राजनीतिक दलों के तमाम दावेदार ने अभी से ही अपनी उपलब्धियों को लेकर गली गली घूमना शुरू कर दिया है। सत्तारूढ़ दल के दावेदार जहां सरकार की उपलब्धियों को लेकर जन समर्थन जुटाने में जुटे हैं वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस के दावेदार सरकार के तीन साल बदहाल के नारे के बीच का 2027 में सत्ता परिवर्तन किए जाने के मुद्दे के साथ मैदान में उतर गए हैं, अर्थात दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों के तमाम दावेदारों द्वारा एक दूसरे की टांग खिचाई का खेल यहां शुरू हो गया है,किंतु इस सबके साथ दोनों ही दलों के तमाम दावेदारों के माननीय बनने के सपने से दोनों ही दलों में अंतर्कलह के बीज भी अंकुरित होने लगे हैं। हालाकि चुनाव में अभी दो साल का समय शेष है किंतु नेताओं के माननीय बनने की चाह ने यहां सियासी तापमान बड़ा दिया है। लालकुआं से माननीय बनने का सपना देखने वालों में जहां अभी भाजपा में सर्वाधिक तादात बाहरी विधानसभा के निवासियों की देखी जा रही है जिन्हे मतदाताओं द्वारा पैराशूट का नाम दिया जा रहा है।

सूबे की राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाली लालकुआं विधानसभा में 2027 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े बाहरी विधानसभा के नेताओं की दखलअंदाजी ने यहां के स्थानीय दावेदारों की मानो नींद उड़ा दी हो । वर्तमान में विधानसभा क्षेत्र की हर गली नुक्कड़ में जनसमर्थन जुटाने की जुगत में लगे इन बाहरी विधानसभा के दावेदारों को लेकर क्षेत्र में तरह तरह की चर्चाएं है।

लोगों में पूर्व में हुऐ विधानसभा चुनाव के इतिहास पर भी चर्चाओं का दौर शुरू होने लगा है कुछ लोगों का मानना है कि लालकुआं विधानसभा से बाहरी नेता का चुनाव में सफल होना संभव नहीं है तो कुछ 2007 में गोविंद सिंह बिष्ट की जीत को आधार बनाकर इस मिथ्या को भ्रामक बताने में लगे हुए हैं इस सबके बीच यह भी तर्क दिया जा रहा है कि 2007के चुनाव के दौरान लालकुआं विधानसभा धारी विधानसभा का हिस्सा रही थी और 2022 के चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की करारी हार का हवाला देते हुए स्थानीय नेता के ही सपने साकार होने की चर्चाएं जोर मारती दिख रही हैं। सोश्यल मीडिया में चल रही चर्चाओं की माने तो अधिकतर लोग बाहरी विधानसभा के नेताओं की लालकुआं में कि जा रही मेहनत को निरर्थक बता रहे है उनका मानना है कि लालकुआं की जनता अपनी ही विधानसभा के व्यक्ति को अपना प्रतिनिधित्व देगी ताकि वह वक्त जरूरत उनके साथ खड़ा रहे।

इस सबके के बीच बाहरी विधानसभा के दावेदारों की संख्या ओर सक्रियता ने स्थानीय दावेदारों की नींद खराब की हुई है सत्तासीन भाजपा के स्थानीय नेताओं की बात करें तो वर्तमान विधायक डॉ मोहन सिंह बिष्ट, पूर्व विधायक नवीन चन्द्र दुम्का, जिला पंचायत सदस्य कमलेश चदौला, वरिष्ठ भाजपा नेता उमेश शर्मा, ब्लॉक प्रमुख रूपा देवी का नाम प्रमुखता में है इसके अलावा सत्तासीन भाजपा के ही आधा दर्जन से अधिक बाहरी विधानसभा के निवाशी नेता यहां जोर आजमाईश में लगे हुए हैं । वहीं प्रमुख विपक्षी कांग्रेस की बात करें तो यहां भी एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है किंतु यहां 2022 के चुनाव का हस्र देख बाहरी दावेदार सबक लिए हुए प्रतीत हो रहे हैं यहां से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरेंद्र बोरा पूर्व कैबिनेट हरीश चंद्र दुर्गापाल के पुत्र हेमवती नंदन दुर्गापाल, कुंदन मेहता,इन्द्रपाल आर्या एवं महिला नेत्री बीना जोशी प्रमुख रूप से दावेदार माने जा रहे हैं और सभी स्थानीय निवाशी है ओर सभी ने अपनी सक्रियता तेजी से बढ़ा दी है।

इधर इस सबके बीच जहां भाजपा के दावेदार भीतरी बाहरी के बीच एक दूसरे की टांग खींचाई में उलझे हुए हैं वहीं कांग्रेसी दावेदार सरकार की जनविरोधी नीतियों को मुद्दा बनाकर अपने अपने पक्ष में जनसमर्थन जुटाते दिख रहे हैं। हालांकि अभी चुनाव दूर है लेकिन नेताओं की सक्रियता ओर जनचरचाओं ने सियासी तापमान बड़ा दिया है। हालाकि अंतिम परिणाम पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के निर्णय के उपरांत ही सामने आएगा कि राजनैतिक दल स्थानीय कार्यकर्ता को मौका देते है या विधानसभा से बाहरी कार्यकर्ता पर भरोसा जताते हैं ।

कुलमिलाकर 2027के चुनावों के रोचक होने के कयास अभी से लगने शुरू हो गए हैं।

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