
देहरादूनः उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की अपनी ही पार्टी के प्रति नाराजगी जाहिर करने के बाद कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. जबकि हरीश रावत के यह बगावती तेवर अचानक नहीं हुए हैं, हरीश रावत लंबे समय से कई पहलुओं पर नजर बनाए हुए थे. वहीं एक धड़े को लग रहा है कि आने वाले चुनाव में कहीं हरीश रावत दोबारा मुख्यमंत्री न बन जाए, इसलिए समय-समय पर मुखालफत और साइडलाइन करने के बयान कोई नए नहीं हैं. वहीं राहुल गांधी के देहरादून रैली के दौरान मंच के संचालन को लेकर भी नाराजगी की एक वजह बताई जा रहा है.
उत्तराखंड की राजनीति में पिछले 24 घंटों में हरीश रावत ने जिस तरह से अपने बेबाक बयान रखे, उसके बाद हुई एक के बाद एक घटना ने प्रदेश की राजनीति को एक नया मोड दे दिया है. इसके अलावा प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल के नेताओं की पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से मुलाकात एक नये राजनीतिक हलचल की ओर इशारा भी कर रही है. इसके बाद अब हरीश रावत के बदले तेवरों को लेकर उन पर सभी की निगाहें टिक गई है.
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उत्तराखंड कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. यह बात तो हरीश रावत के उस ट्वीट से साफ हो जाती है, जिसमें उन्होंने अपनी ही पार्टी संगठन और पार्टी के शीर्ष नेताओं पर कटाक्ष किए हैं. हरीश रावत के इस बदले हुए तेवरों को लेकर न केवल कांग्रेस पार्टी में बड़े नेताओं की नजर उन पर है, बल्कि भाजपा समेत तमाम दलों की भी निगाहें उनके आगामी रणनीति पर बनी हुई है. इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिलने के लिए उनके घर उत्तराखंड क्रांति दल के नेताओं का पहुंचना इस राजनीति को और भी गर्म कर रहा है.
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दरअसल खबर है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिलने के लिए उनके घर पर उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी और पुष्पेश त्रिपाठी समेत कुछ और नेता भी पहुंचे थे. बताया जा रहा है कि इस मुलाकात का मकसद मौजूदा घटनाक्रम से जुड़ा हुआ है और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इन नेताओं से प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम और स्थितियों को लेकर बातचीत की है.
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बता दें कि हरीश रावत ने अपने ट्विटर अकाउंट पर संगठन और शीर्ष नेताओं पर चुनाव के समय में भी साथ न देने की पोस्ट कर है. यही नहीं उनके मीडिया सलाहकार ने तो प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर खुले रूप से कई आरोप लगाए और भाजपा के हाथों में पार्टी के कुछ नेताओं के फैसले और कांग्रेस को आगामी चुनाव में सत्ता से दूर रखने के लिए प्रयास किए जाने तक की बात कही है. पार्टी के भीतर इस तरह की गतिविधियों के बीच हरीश रावत का यूकेडी के नेताओं से मिलना एक नए समीकरण को जन्म दे रहा है.
हरीश रावत का पोस्ट
चुनाव रूपी समुद्र है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है’. ‘जिस समुद्र में तैरना है, जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है’. चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है, ‘न दैन्यं न पलायनम. बड़ी उहापोह की स्थिति में हूं, नया साल शायद रास्ता दिखा दे. मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे. सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं, जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है’.