उत्तराखंड

लालकुआं में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई, झोलाछाप डॉक्टरों का बढ़ता दबदबा

स्वास्थ्य सुविधाओं की जमीनी हकीकत, गली-मोहल्लों में दुकान की तरह खुले हैं क्लीनिक, झोलाछाप डॉक्टरों की पौ बारह।

रिपोर्टर गौरव गुप्ता।

लालकुआं नगरीय क्षेत्र और आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं बद से बदतर हालात में हैं। सरकारी अस्पतालों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण गली-मोहल्लों में झोलाछाप ने अपने पैरा जमा लिए हैं। इनके पास डिग्री नहींं होती लकिन ये इलाज हर मर्ज का करने का दावा करते हैं। ऐसे में मरीज की जान तो खतरे में होती है लकिन इनकी कमाई नहीं रुकती।

वर्तमान में लालकुआं नगर और इसके आसपास के ग्रामीण इलाकों इनकी संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। शहर से लेकर आसपास के ग्रामीण इलाकों में बिना पंजीकरण के क्लीनिक और मेडिकल धड़ल्ले से चल रहे हैं। इन क्लीनिकों में मौसमी बिमारियों के इलाज से लेकर आई फ्लू, पीलिया,पथरी, टीवी, उल्टीदस्त, डेंगू के साथ साथ कॉविड सहित हर अन्य छोटी बड़ी बिमारियों का इलाज किया जा रहा है। वर्तमान में मौशमी बिमारियों के मरीजों की बढ़ती तादात और सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं और डॉक्टरों के अभाव के चलते मजबूरी में मरीज़ इन झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज करवाने को मजबूर हैं। बिना किसी वैध डिग्री के झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और स्वास्थ्य महकमा इस संवेदनशील मामले में निरंतर उदासीन बना हुआ है। झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही में बरती जा रही हीलाहवाली के चलते झोलाछापों की पो बारह हो रही है।

बता दें कि झोलाछापों के गलत इलाज के चलते पूर्व में तमाम लोगों जान गंवा बैठे हैं किन्तु हादसा होने के उपरांत कुछ दिन अलर्ट मोड में रहने के उपरांत स्वास्थ्य महकमा कुंभकर्णी नींद सो जाता है, झोलाछाप डॉक्टरों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से इनके हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। खास बात यह है कि गोरखधंधा प्रशासन की नाक के नीचे खुलेआम हो रहा है और जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।

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