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ग्राम मिर्जापुर : अमन के साथ हुई अलविदा जुमे की नमाज़

अस्सलामु अलेकुम

ग्राम मिर्जापुर : रमजान का आखिरी शुक्रवार या अलविदा जुमा खास होता है. इस दिन मस्जिदों में बड़ी तादाद में मुसलमान नमाज अदा करने पहुंचते हैं.

आपको बता दें कि मुस्तफाबाद मैरूबपुर हरिद्वार में अलविदा जुमे की नमाज बड़े ही अमन के साथ मौलाना हारून कासमी के द्वारा पढ़ाई गई। नमाज से पूर्व मौलाना साहब ने सभी लोगों से 100% मतदान करने की गुजारिश की है।

नमाज जुमा में सुरक्षा के लिए शमीम अहमद रियाज उल हसन मुकर्रम अली आदि तैनात रहे और जुम्मे की नमाज पढ़ी। जुम्मे में मदरसा इस्लामिया हुसैनिया के सभी उस्ताद एवं आसपास गांव के ग्रामीण शामिल हुए.

बता दें कि माह-ए-रमजान के आखिरी शुक्रवार को अलविदा जुमा या जुमातुल विदा भी कहा जाता है. इस दिन रोजेदार मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं.

वैसे तो इस्लाम में शुक्रवार के दिन को बहुत ही खास माना जाता है. लेकिन रमजान महीने में पड़ने वाले जुमा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. अलविदा जुमा पर हर मुसलमान के लिए नमाज अदा करना जरूरी माना जाता है. क्योंकि इस्लाम में अलविदा जुमा के नमाज की खास फजीलत है.

अलविदा जुमा पर दोपहर के समय नमाज अदा की जाती है. इस्लाम में जुमे की नमाज की खास फजीलत मानी गई है. जुमे की नमाज को लेकर हदीस शरीफ में कहा गया है, हजरत आदम अलैहिस्सलम को जुमे के दिन ही जन्नत से इस दुनिया में भेजा गया और जन्नत में उनकी वापसी भी जुमे की दिन ही हुई.

माना जाता है कि, जुमे की दिन अदा की गई नमाज से अल्लाह पूरे हफ्ते की गलतियों को माफ कर देता है और इसका 70 गुना अधिक सवाब मिलता है. रमजान के महीने में आखिरी जुमे को छोटी ईद कहा जाता है.

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