उत्तराखंडराजनीतिविधानसभा चुनाव 2022

बड़ी ख़बर: कौन बनेगा उत्तराखंड का मुख्यमंत्री? ये हैं विकल्प..

CM धामी की हार से BJP की बढ़ी टेंशन! क्या चौंकाएगा हाईकमान

देहरादून:  उत्तराखंड विधानसभा चुनाव परिणाम ने भारतीय जनता पार्टी को एक तरह की दुविधा में डाल दिया है  राजधानी देहरादून से बड़ी खबर सामने आ रही है जहां सचिवालय में हो रही बैठक के चलते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। अब उत्तराखंड में बीजेपी की नई सरकार बनाने की कवायद तेज हो रही है। बीजेपी विधायक मंडल दल की बैठक होगी। इस बैठक में निर्वाचित विधायक अपना नेता चुनेंगे जिसे वो मुख्यमंत्री बनाना चाहेंगे।

उत्तराखंड: CM को लेकर बड़ी खबर! BJP में घमासान! कौन बनेगा CM.?

इसके बाद बीजेपी हाईकमान विधायक दल द्वारा चुने गए नेता को अपनी सहमति देगा। इस तरह उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का चुनाव होगा। मतगणना से पहले तय था कि पुष्कर सिंह धामी ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री होंगे। लेकिन धामी खटीमा से चुनाव हार गए। इस कारण मुख्यमंत्री पद को लेकर ट्विस्ट आ गया।दरअसल निवर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हारने के बाद पार्टी विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है। विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत की स्थिति में धामी के पद पर बने रहने की उम्मीद जतायी जा रही थी।

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हालांकि चुनाव परिणाम में भाजपा ने तो सत्ता बरकरार रखी, लेकिन धामी चुनाव हार गए। मतगणना के बाद उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनना तय हो गया है। 47 सीटों के साथ बीजेपी ने बहुमत के आंकड़े को आसानी से पार कर लिया है। मगर सीएम धामी के खटीमा से चुनाव हारने के कारण मुख्यमंत्री पद का मामला थोड़ा रोचक हो गया है। हर किसी की जुबान पर बस एक ही सवाल है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। तो आइए उत्तराखंड बीजेपी के कुछ नेताओं में संभावना टटोलते हैं कि इनमें से क्या कोई मुख्यमंत्री बनेगा?

उत्तराखंड के मुख्यमत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी फिर से एक सरप्राइजिंग पैकेज हो सकते हैं। गुरुवार को चुनाव परिणाम आने के बाद कई नेताओं के बयान आए कि धामी को ही सीएम बनाना चाहिए। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने भी उनकी हार पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि धामी के पास पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी थी। इसलिए वो अपनी सीट खटीमा में ज्यादा समय नहीं दे पाए थे। सतपाल महाराज ने भी उनकी तारीफ की है।

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चंपावत विधानसभा सीट से चुनाव जीते बीजेपी के कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने तो धामी के लिए सीट छोड़ने का ऑफर तक पेश कर दिया है। अगर धामी चंपावत से चुनाव लड़ते हैं तो जीतकर विधानसभा पहुंच सकते हैं। 2014 में जब हरीश रावत कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री बने थे तो उनके लिए धारचूला से विधायक हरीश धामी ने सीट खाली की थी। धारचूला से चुनाव जीतकर हरीश रावत विधानसभा पहुंचे थे।

पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ही उत्तराखंड बीजेपी ने चुनाव लड़ा। बीजेपी ने चुनाव में 47 सीटें जीतकर उत्तराखंड का ये मिथक तोड़ा कि यहां सरकार रिपीट नहीं होती है। धामी बीजेपी आलाकमान की आंखों का तारा हैं। राजनाथ सिंह से उनकी यूपी में छात्र राजनीति के समय से ही नजदीकी है। राजनाथ जब यूपी के मुख्यमंत्री थे तब लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़े पुष्कर सिंह धामी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के महामंत्री रहे थे। बीजेपी धामी को फिर से सीएम की कुर्सी पर बिठा सकती है।

बड़ी ख़बर: धामी कैबिनेट की बैठक में इस्तिफे से पहले लिया गया ये फैसला

सूत्रों से पता चला कि इस बार भी धन सिंह रावत सीएम की रेस में सबसे आगे हैं। धन सिंह आरएसएस के जमाने से ही समर्पित कार्यकर्ता के साथ खांटी बीजेपी नेता हैं। धन सिंह रावत भी इस जीत से फूले नहीं समा रहे हैं। मुख्यमंत्री पद पर धन सिंह रावत की लॉटरी लग सकती है। चौबट्टाखाल सीट से चुनाव जीतकर आए सतपाल महाराज मूल रूप से आध्यात्मिक गुरु हैं।

सतपाल महाराज ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। पिथौरागढ़ की डीडीहाट सीट के जीतकर आए बिशन सिंह चुफाल को बीजेपी के शांत और सौम्य नेताओं में से माना जाता है। जब त्रिवेंद्र रावत मुख्यमंत्री थे तो उस समय अपनी उपेक्षा की शिकायत लेकर वो हाईकमान के पास दिल्ली जरूर गए थे। लेकिन इसके अलावा आमतौर पर उनका स्वभाव शांत है। एक हल्की सी उम्मीद है कि बीजेपी इस बार बिशन सिंह चुफाल को सीएम बना सकती है। बीजेपी हाईकमान उनकी इन बातों का संज्ञान ले सकता है।

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अजय भट्ट नैनीताल-उधम सिंह नगर लोकसभा सीट से केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री हैं। अनिल बलूनी राज्यसभा सांसद हैं। उनकी पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ नजदीकी जग-जाहिर है। बंशीधर भगत आम जन के नेता हैं। उन्होंने राजनीति की शुरुआती सीढ़ी से अपनी पारी शुरू की है तो इस कारण कार्यकर्ताओं के दर्द को समझते हैं। बंशीधर भगत सीएम की दौड़ में चौंका सकते हैं।

रमेश पोखरियाल भी सीएम पद के दावेदार हो सकते हैं। उनके पास यूपी के समय से मंत्री पद संभालने का अनुभव रहा है तो वो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। BJP हाईकमान हमेशा से ही चौंकाने वाले फैसला करता आया है। बीजेपी की पिछली सरकार में जो तीन लोग त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत और धामी मुख्यमंत्री बने चुनाव से पहले और बाद में दूर-दूर तक उनके नाम की चर्चा तक नहीं थी। बीजेपी हाईकमान ने सबको चौंकाते हुए इन तीनों को बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनाया।

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वोटिंग के बाद की घटनाओं ने मदन कौशिक की स्थित को सीएम की दौड़ में कमजोर कर दिया। नहीं तो वो सीएम की रेस में हो सकते थे। इस बार बीजेपी से छह महिला प्रत्याशी चुनाव जीती हैं। अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर सीट से रेखा आर्य चुनाव जीती हैं। कोटद्वार सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडू़ड़ी की बेटी ऋतु चुनाव जीती हैं। नैनीताल सीट से सरिता आर्य चुनाव जीती हैं। देहरादून कैंट से सविता कपूर चुनाव जीती हैं।

शैलारानी रावत ने केदारनाथ से जीत हासिल की है। रेनू बिष्ट ने यमकेश्वर से जीत हासिल की है। बीजेपी हाईकमान अगर किसी महिला को सीएम की कुर्सी पर बिठाने का प्लान बना रहा हो तो ऋतु खंडूड़ी और रेखा आर्य में से किसी को मौका मिल सकता है। रेखा आर्य को सीएम बनाकर बीजेपी पहली दलित सीएम दे सकती है। भाजपा सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान को नये नेता के चुनाव के वास्ते विधायक दल की बैठक की निगरानी के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में राज्य भेजा जा सकता है।

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बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं की गई है। भाजपा ने सत्ता बरकरार रखते हुए उत्तराखंड में इतिहास रच दिया है, क्योंकि पूर्व में कोई भी दल विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता बरकरार रखने में सफल नहीं रहा है। भाजपा ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 47 सीटें जीती हैं। पार्टी हलकों में इस बात को लेकर चर्चा है कि क्या उनके शीर्ष नेता धामी पर फिर से भरोसा करेंगे, जिसके लिए यह जरूरी होगा कि कोई मौजूदा विधायक धामी के लिए अपनी सीट छोड़े जिससे उपचुनाव कराने पर वह दोबारा चुनाव लड़ सकें। अथवा नव-निर्वाचित विधायकों में से किसी को नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा। भाजपा के पास इस पद के लिए राज्य के अपने वरिष्ठ नेताओं में से किसी को चुनने का विकल्प भी है, जो वर्तमान में विधायक नहीं है।

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