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ट्राईसिटी को मिला पहला पूर्ण सुसज्जित डे बोर्डिंग स्कूल – रूट्स कंट्री स्कूल

स्कूल पंचकूला के डीएलएफ द वैली में शुरू हुआ है

This is another branch of Himachal’s famous boarding school – Roots Country School at Baghi near Kotkhai

ट्राईसिटी को मिला पहला पूर्ण सुसज्जित डे बोर्डिंग स्कूल – रूट्स कंट्री स्कूल

स्कूल पंचकूला के डीएलएफ द वैली में शुरू हुआ है

यह कोटखाई के पास बाघी में हिमाचल के प्रसिद्ध बोर्डिंग स्कूल – रूट्स कंट्री स्कूल की दूसरी शाखा है

पंचकूला/पिंजौर, 18 मई, 2023: रूट्स कंट्री स्कूल (आरसीएस) – ट्राइसिटी के पहले पूरी तरह सुसज्जित अत्याधुनिक डे-बोर्डिंग स्कूल ने औपचारिक रूप से काम शुरू करने की घोषणा की है। स्कूल यहां डीएलएफ द वैली में शिवालिक फुट हिल्स के हरे-भरे वातावरण में स्थित है। आरसीएस पंचकूला, एक दूरदर्शी युगल सुनील रोठा व कृति रोठा द्वारा कोटखाई, शिमला हिल्स, हिमाचल प्रदेश के पास बाघी में 2003 में स्थापित प्रतिष्ठित रूट्स कंट्री स्कूल की दूसरी शाखा है। नए स्कूल के बारे में जानकारी देने के लिए स्कूल की को फाउंडर कृति रोठा और आरसीएस, पंचकूला की प्रिंसीपल – सुज़न भागरा ने आज यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया।

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कृति रोठा ने कहा कि “हम चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र में एक संपूर्ण डे बोर्डिंग की कमी को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारा स्कूल कामकाजी अभिभावकों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा, क्योंकि आम तौर पर इन दिनों पिता और माता दोनों काम पर जाते हैं। सिंगल माता या पिता भी इससे लाभान्वित होंगे। माता-पिता को अब अपने कार्यालय समय के दौरान अपने बच्चों को लेने के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होगी। स्कूल बच्चों को डे-बोर्डिंग में रखता है और माता-पिता काम से मुक्त होने पर अपने बच्चों को ले जा सकते हैं”।

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उन्होंने आगे कहा कि “स्कूल के नियमित घंटों के बाद बच्चे प्रोफेशनल्स के हाथों में सुरक्षित होंगे और उन्हें पौष्टिक भोजन व आराम मिलेगा। वे अपना होमवर्क पूरा करेंगे। अभिभावक भी राहत की सांस लेंगे, क्योंकि अब वे ट्यूशन कल्चर के चंगुल से मुक्त हो सकेंगे। स्कूल में छात्र रचनात्मक गतिविधियों में हिस्सा लेंगे। इस सबसे उनका स्क्रीन टाइम कम हो जाएगा, जबकि आमतौर पर बच्चे स्कूल के बाद घर जाने पर मोबाइल में लग जाते हैं। स्कूल में उनकी नियमित दिनचर्या उन्हें उनके भावी जीवन के लिए अनुशासित करेगी।

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स्कूल में आरसीएस की एक भव्य और आकर्षक इमारत है। लड़के-लड़कियों के लिए बंक बैड्स के साथ अलग-अलग डॉर्मिटरीज हैं। स्कूल में, हर मौसम के लिए उपयुक्त एक स्वीमिंग पूल, इन हाउस बेकरी, किचन, इनडोर गेम्स एरिया, म्यूजिक रूम, डांस हॉल, टेनिस ग्राउंड, टेबल टेनिस, बैडमिंटन हॉल, बास्केटबॉल, कराटे ट्रेनिंग, स्नूकर और एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैब मौजूद है। एक सुविधायुक्त पुस्तकालय और एक ई-लाइब्रेरी भी है। इतना ही नहीं, 700 लोगों के बैठने की क्षमता वाले एक बहुउद्देशीय सभागार के साथ स्कूल की इमारत सेंट्रली वातानुकूलित है। बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए एक लघु चिकित्सालय भी है।

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उल्लेखनीय है कि सुनील रोठा के पास हिमाचल प्रदेश में बगीचे भी हैं। उन्होंने सोसाइटी फॉर एजूकेशन एंड एनवायरनमेंटल डवलपमेंट (सीड) के तहत बाघी, कोटखाई, शिमला हिल्स, हिमाचल प्रदेश में एक आवासीय विद्यालय की स्थापना की।

सुनील ने एक बयान में कहा, “हिमाचल प्रदेश में हरे-भरे सेब और चेरी के बागों और सुंदर घने देवदार के जंगलों के बीच 9000 फीट की ऊंचाई पर आरसीएस की स्थापना के पीछे का विचार यह था कि उस क्षेत्र से बच्चों के पलायन को रोका जाए। बेहतर शिक्षा के अभाव में बच्चों को देश के अन्य हिस्सों में भेज दिया जाता था। इस शैक्षिक पहल से वहां के सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद मिली है।”

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स्कूल की शुरुआत 2003 में सिर्फ 21 छात्रों के साथ हुई थी और अब इसमें लगभग 1000 छात्र हैं जहां 450 छात्र भारत के विभिन्न राज्यों और विदेश के भी हैं।

कृति ने बताया कि “हमारा लक्ष्य आरसीएस पंचकूला में भी हिमाचल वाले स्कूल जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का है। पंचकूला का स्कूल छात्रों को तैयार करेगा। हम छात्रों को वास्तविक दुनिया के लिए प्रशिक्षित करते हैं, रट्टा आधारित शिक्षा में हमारा विश्वास नहीं है,”

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सुज़न भागरा ने कहा, “स्कूल वर्तमान में प्री-नर्सरी से कक्षा 7 तक है और हम शिक्षण की लीड प्रणाली का उपयोग करते हैं, जो सिंगापुर के नर्चरिंग अर्ली लर्नर्स (एनईएल) कार्यक्रम के साथ बेंचमार्क है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 द्वारा निर्धारित एनसीईआरटी के अनुरूप है। सभी विषयों को एक स्किल के रूप में पढ़ाया जाता है और हमारा दृष्टिकोण छात्रों को करके सीखने पर आधारित है।

स्कूल का विजन अपने छात्रों को इस महान देश भारत के महान नागरिक बनने के लिए प्रेरित करना है।

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