उत्तराखंडराजनीति

बड़ी खबर: देवस्थानम बोर्ड को लेकर पूर्व CM त्रिवेंद्र का बड़ा बयान

उत्तराखंड में ही जागेश्वर धाम इसका उदाहरण है, जहां जनता ने स्वेच्छा से बोर्ड बनाया

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि गैरसैंण को लेकर औपचारिकताएं पूर्ण हो चुकी है। वह ग्रीष्मकालीन राजधानी है।

देहरादून: उत्तराखंड बड़ी खबर सामने आ रही है जहां चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बाद भले ही सरकार ने इस संबंध में उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर दी हो, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बोर्ड के गठन के अपने फैसले को सही ठहराते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व के 125 करोड़ हिंदुओं की सुविधा की दृष्टि से यह बोर्ड बनाया गया। देश में जहां-जहां भी ऐसे बोर्ड हैं, वहां व्यवस्थाएं बेहतर हुई हैं।

उत्तराखंड में ही जागेश्वर धाम इसका उदाहरण है, जहां जनता ने स्वेच्छा से बोर्ड बनाया है। उन्होंने कहा कि यदि अच्छे उद्देश्य के लिए वह विलेन भी बनते हैं तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि कई बार सुधार के लिए कुछ बुराइयां झेलनी पड़ती हैं, लेकिन हमें पता होना चाहिए कि जो सुधार कर रहे हैं उससे राज्य का भला होने वाला है। धार्मिक स्थलों का आभामंडल बढ़े ऐसे कार्य करने चाहिए।

मीडिया से बातचीत में त्रिवेंद्र ने कहा कि यदि हम अपनी दिशा, सोच, उद्देश्य को लेकर साफ हैं और विरोध भी हो रहा तो कोई बात नहीं। उन्होंने कहा कि वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड भी विरोध हुआ था। हम व्यवस्था तो वैष्णो देवी जैसी चाहते हैं, मगर सिस्टम नहीं बनाना चाहते। अगर सिस्टम नहीं बनाएंगे तो वर्ष 2013 जैसी स्थिति होगी। उन्होंने कहा कि पूर्व में पार्टी के जिन व्यक्तियों ने बोर्ड को लेकर सवाल उठाए थे, उनके समक्ष इसे रखा गया था, मगर तब वे चुप रहे।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि गैरसैंण को लेकर औपचारिकताएं पूर्ण हो चुकी है। वह ग्रीष्मकालीन राजधानी है। यह निर्णय लेने में उन्हें भी समय लगा। नए मुख्यमंत्री धामी अब इसे विकास की दृष्टि से आगे बढ़ाएंगे। गैरसैंण में राजधानी क्षेत्र विकसित करने को भूमि उपलब्ध है। मुख्यमंत्री आगे चलकर इस दिशा में कार्य करेंगे। गैरसैंण में भूमि के उपयोग का रास्ता बनाने संबंधी प्रश्न पर उन्होंने कहा कि गैरसैंण में जाकर पूछिये कि वहां जो किया वह सही था या गलत जनता जवाब दे देगी। साथ ही सवाल किया कि यदि गैरसैंण में कोई जमीन नहीं खरीद सकता तो क्या विकास की कल्पना कर सकते हैं। युवाओं को रोजगार देना है। होटल, पर्यटन उद्योग क्या हवा में लगेंगे।

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से संबंधित प्रश्न पर उन्होंने कहा कि बोर्ड के बारे में बोल्ड निर्णय लेने की जरूरत है। जिसके जो अधिकार है, उसे दिए जाने चाहिए। बोर्ड के अध्यक्ष को उनके अधिकार मिलने चाहिए। कमी कहां रह गई है, इस पर उन्होंने कहा कि इस बारे में मुख्यमंत्री से पूछिये।सरकार में नेतृत्व परिवर्तन पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सच है कि बार-बार परिवर्तन से जनता को लगा कि इसे लेकर आवश्यकता किस बात की थी। उन्होंने कहा कि जब राज्य और जनता का हित बड़ा होता है, तब यह मसला गौण हो जाता है। इसे स्वीकार करना चाहिए।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी ने नए युवा ऊर्जावान चेहरों को जगह दी है। तीरथ सिंह रावत भी युवा थे और पुष्कर सिंह धामी भी युवा हैं। युवा ऊर्जा अच्छे तरीके से कार्य करेगी। एक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि भाजपा में कोई गुट नहीं है। कभी-कभी हल्के से मनमुटाव होता है, मगर इसका मतलब ये नहीं कि अलग-अलग हो गए हैं। हम सब एक ही रास्ते के राही हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वे न तो अपनी मर्जी से राजनीति में आए और न कभी मंत्री, सीएम पद की मांग की। पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी, उसे निभाया। आगे भी पार्टी जो फैसला लेगी, उसे स्वीकार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सत्ता में रहने की चाहत पर नियंत्रण होना चाहिए।

एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि सियासत में सवाल उठते रहते हैं, समय उनका जवाब देता रहता है। संभावनाएं हमेशा खुली रहनी चाहिए। एक सवाल पर त्रिवेंद्र ने कहा कि यदि कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत यह कह दें कि एक समुदाय विशेष को उत्तराखंड विशेषकर पहाड़ों में नहीं घुसने देना चाहिए तो सभी उनके समर्थन में खड़े हो जाएंगे।

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