
उत्तराखंड से बड़ी ख़बर सामने आ ई है जहां उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस आदेश को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने काशीपुर के विधायक हरभजन सिह चीमा के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। 2017 के विधानसभा चुनाव में काशीपुर विधायक हरभजन सिंह चीमा की ओर से नामांकन पत्र में शैक्षिक, आयु प्रमाणपत्र और आय प्रमाणपत्रों में गलत जानकारी देने के मामले में दायर चुनाव याचिका पर मंगलवार से नियमित सुनवाई होगी।
दरअसल इस मामले में विधायक हरभजन सिंह चीमा की ओर से आदेश सात नियम-11 के अंतर्गत दिए गए प्रार्थनापत्र को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। विधायक हरभजन सिंह चीमा ने हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र पेश कर कहा था कि याचिकाकर्ता को चुनाव याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है।
ज्ञात हो कि न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ के समक्ष काशीपुर निवासी राजीव अग्रवाल की चुनाव याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में अग्रवाल ने कहा था कि काशीपुर विधायक हरभजन सिंह चीमा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में अपने नामांकन पत्र में गलत जानकारी दी है। याचिकाकर्ता का कहना था कि विधायक के पेन कार्ड में जन्मतिथि 8 जनवरी 1944 लिखी गई है, जबकि उनके पासपोर्ट में यह सात अप्रैल 1946 दर्ज है।
दरअसल याचिका में कहा गया कि विधायक हरभजन सिंह चीमा ने सेल्स टैक्स की दस लाख की देनदारी की सूचना को भी छुपाया है जिसकी शिकायत उन्होंने चुनाव के समय चुनाव अधिकारी से भी की थी लेकिन चुनाव अधिकारी की ओर से उनकी सुनवाई नहीं की गई। याचिकाकर्ता ने गलत तथ्य पेश करने पर विधायक चीमा का निर्वाचन निरस्त करने की मांग की थी।
दरअसल याचिकाकर्ता काशीपुर निवासी राजीव अग्रवाल ने आरोप लगाया कि 2017 के विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र में विधायक चीमा के पैन कार्ड और पासपोर्ट में अलग-अलग जन्मतिथि अंकित है। साथ ही उन्होंने सेल्स टैक्स की दस लाख रुपए की देनदारी को भी छुपाया है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से विधायक चीमा का चुनाव निरस्त करने की मांग की।
उधर, विधायक हरभजन सिंह चीमा की ओर से भी आज हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर कहा गया कि याचिकाकर्ता को चुनाव याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। लेकिन, हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ ने विधायक प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया। मंगलवार से कोर्ट इस याचिका पर नियमित सुनवाई करेगी।