उत्तराखंड

बड़ी ख़बर: रिटायर्ड कर्मचारी अब नहीं कर पाएंगे नेतागिरी! देखिए आदेश

उ०प्र० सेवा संघों को मान्यता नियमावली, 1979 (यथा उत्तराखण्ड राज्य में प्रवृत्त) एवं तत्क्रम में निर्गत शासनादेश संख्या 166 कार्मिक-2/2002 28 फरवरी, 2002 द्वारा सेवा संघों को मान्यता नियमावली के नियम-5 (ग). (ड.) एवं (च) में निम्न प्राविधान हैं:-

(ग) संघ की सदस्यता कार्यरत सरकारी कर्मचारियों के (जिसके अन्तर्गत सेवानिवृत्त कर्मचारी नहीं है) एक सुभिन्न प्रवर्ग तक सीमित हों और इसमें उस विशिष्ट प्रवर्ग की कुल सदस्य संख्या के 50 प्रतिशत से अधिक का प्रतिनिधित्व हो।’

(ड.) ‘कोई ऐसा व्यक्ति, जो कार्यरत सरकारी सेवक न हो, संघ के कार्यकलापों से सम्बद्ध न हों।
2- (च) पदाधिकारी जिसके अन्तर्गत संघ के कार्य समिति के सदस्य भी हैं, केवल उसके सदस्यों में से ही (सेवानिवृत्त कर्मचारियों को छोड़ते हुए) नियुक्त किये जायेंगे।

शासन के संज्ञान में आया है कि राज्याधीन सेवाओं में विभिन्न सेवा संवर्गों के अन्तर्गत गठित संघों/परिसंघों/महासंघों में सेवानिवृत्त कार्मिक संघ के सदस्य एवं संघ के पदाधिकारी के रूप में संघ के कार्यकलापों से सम्बद्ध हैं, जो कि सेवा “घों को मान्यता नियमावली, 1979 के अनुरूप नहीं है।

3- इस सम्बन्ध में कार्मिक एवं सतर्कता विभाग के परिपत्र संख्या 385/XXX(2y2017- 03(9)2012/ 26.12.2017 एवं संख्या 25/XXX(2)/2019-03(9)/2012/ 15.02.2019
के कम में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि अपने नियंत्रणाधीन विभागों के सेवा संघों/परिसंघों/महासंघों में यह सुनिश्चित किया जाय।

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