कहते हैं उम्मीद पर दुनिया कायम है, परिस्थितियां जैसी भी हों, हमें घुटने नहीं टेकने चाहिए। 91 साल की संतोषी देवी भी यही सोचा करती थीं। अपनों ने धोखा दिया तो ये बुजुर्ग महिला हरि के द्वार हरिद्वार पहुंच गईं। वहां हरकी पैड़ी पर थैले बेचकर अपना गुजारा करने लगी। जीवन के आखिरी पड़ाव में भी संतोषी देवी ने किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया। लेकिन हां, वो सरकार से वृद्धावस्था पेंशन जरूर मांग रही थीं, क्योंकि ये संतोषी देवी का हक था।
संतोषी देवी ने कई लोगों को अपनी पीड़ा बताई। आईएएस दीपक रावत भी उनकी कहानी सुनकर भावुक हो गए और उन्होंने संतोषी की वृद्धावस्था पेंशन लगवाने का वादा कर दिया, पर अफसोस कि एक साल बाद भी ये वादा पूरा न हो सका। और अब वादा पूरा हो या न हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि संतोषी देवी अब इस दुनिया में नहीं रहीं।
हरकी पैड़ी पर थैले बेचकर अपना गुजारा करने वाली 91 साल की संतोषी देवी का सोमवार को निधन हो गया। उनका कोई नहीं था, इसलिए अंतिम संस्कार भी हरिद्वार पुलिस ने ही कराया। संतोषी देवी ने जीवन के आखिरी पड़ाव में वृद्धावस्था पेंशन की मांग की थी, जो आखिर तक अधूरी ही रही। आईएएस दीपक रावत ने वादा किया था कि वो संतोषी देवी की हरसंभव मदद करेंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
गरीब बुजुर्ग महिला के निधन पर आईएएस दीपक रावत ने भी गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि संतोषी देवी के उत्तर प्रदेश निवासी होने की वजह से उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। उन्होंने कहा मुझे इस बात का दुख रहेगा कि मैं उनकी पेंशन नहीं दिलवा पाया, भगवान उनकी आत्मा को शांति दें। बता दें कि संतोषी देवी का इस दुनिया में कोई नहीं था। वो हरिद्वार के रैन बसेरे में रहती थीं। उम्र के आखिरी पड़ाव में उनका चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया था, जिस वजह से वो अधिकारियों से वृद्धावस्था पेंशन की मांग कर रही थीं, लेकिन अफसोस कि उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हो सकी।