उत्तराखंड

किसान सेवा सहकारी समिति की मनमानी

किसान सेवा सहकारी समिति की मनमानी

खाद के लिए किसान परेशान, एक एकड़–एक बैग के नियम से भड़का आक्रोश।

रिपोर्टर गौरव गुप्ता। हल्दूचौड़।

ग्रामीण क्षेत्रों में खरीफ और रबी सीजन की तैयारियों के बीच किसानों को इस बार खाद की गम्भीर कमी का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र की किसान सेवा सहकारी समिति ने खाद वितरण के लिए अचानक नया नियम लागू कर दिया है, जिसके तहत प्रति एकड़ केवल एक बैग खाद देने का आदेश जारी किया गया है। इस फैसले से किसान बेहद नाराज़ हैं और इसे पूरी तरह मनमानी करार दे रहे हैं।

किसानों का कहना है कि एक एकड़ भूमि के लिए एक बैग खाद बिल्कुल पर्याप्त नहीं है। इससे फसल उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा और उन्हें महंगे दामों पर खुले बाजार से खाद खरीदनी पड़ेगी। किसानों ने आरोप लगाया कि समिति को हर साल खाद का पूरा कोटा मिलता है, फिर भी वितरण में कटौती करना बंदरबांट और अनियमितता का संकेत है।

सुबह से ही खाद लेने पहुंचे किसानों की भीड़ समिति कार्यालय में उमड़ पड़ी। कई किसानों ने पुराने टोकन और भूमि संबंधी दस्तावेज दिखाते हुए बताया कि पहले प्रति एकड़ दो से तीन बैग खाद मिलता था, लेकिन इस बार अचानक इसकी मात्रा कम कर दी गई है। एक किसान ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि इतनी कम खाद में खेती करना संभव नहीं है और समिति के कर्मचारी अपनी मनमानी पर उतारू हैं।

इस स्थिति को देखते हुए किसानों ने नव–निर्वाचित प्रबंध समिति से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। किसानों का कहना है कि नई समिति किसानों की समस्याओं को समझते हुए जल्द से जल्द पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराए, ताकि बोवाई कार्य प्रभावित न हो।

इस संबंध में समिति के नव निर्वाचित अध्यक्ष मोहन दुर्गापाल ने कहा कि पूर्व में जो भी त्रुटियाँ रही हों, उन पर वे कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने समिति के सदस्यों को किसानों को प्राथमिकता से खाद उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। वर्तमान में खाद की उपलब्धता सीमित है, इसलिए वितरण केवल चेक के आधार पर किया जा रहा है। जैसे ही स्टॉक उपलब्ध होगा, किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा।

किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि खाद वितरण में सुधार नहीं किया गया, तो वे आंदोलन और धरना देने के लिए बाध्य होंगे। मौजूदा स्थिति में कई गाँवों में बोवाई का कार्य पहले ही प्रभावित होना शुरू हो गया है। किसानों का कहना है कि खाद की उपलब्धता को लेकर समिति पूरी पारदर्शिता बनाए और स्टॉक की खुली जानकारी सार्वजनिक करे, ताकि किसानों को राहत मिल सके।

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