पाने को ही प्रेम कहे जग की ये है रीत.!!, प्रेम का अर्थ समझायेगी हर्षिका – कान्हा की प्रीत

पाने को ही प्रेम कहे जग की ये है रीत.!!, प्रेम का अर्थ समझायेगी हर्षिका – कान्हा की प्रीत।
रिपोर्ट- गौरव गुप्ता, हल्द्वानी
कहते हैं अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है… पर हल्द्वानी की हर्षिका की कहानी थोड़ी अलग है… यहां उसे प्यार भी हुआ तो सृष्टि के पालनहार कृष्ण भगवान से.. और हां आज उसकी शादी भी उसी पालनहार से हो गई जिसे वो पिछले 15 सालों से अपने दिल में छुपाए बैठी थी। आज सुबह साढे़ दस बजे गाजे-बाजे के साथ बारात आई, वरमाला और फेरे हुए, लोगों ने शादी की दावत में प्रतिभाग किया और वधु हर्षिका को आर्शीवाद दिया साथ ही शगुन का टीका लगाया।
वीओ1- हल्द्वानी के प्रेमपुर लोश्ज्ञानी में इंद्रप्रस्थ कॉलोनी निवासी पूरन चंद्र पंत की 21 वर्षीय पुत्री हर्षिका बचपन से ही दिव्यांग है। इस युवती के चेहरे की चमक देखते ही बनती है, उसके शरीर का निचला हिस्सा काम नहीं करता, अपने दैनिक कार्यों के लिए भी उसे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है लेकिन यकीन मानिए एक बार आप उसका दमकता चेहरा देख लेंगे तो आपके सारे तनाव खुद ही खत्म हो जाएंगे। भगवान श्री कृष्ण को दिल से अपना सर्वस्व मान चुकी इस युवती ने आज वृंदावन से लाई गई श्री कृष्ण की प्रतिमा के साथ सात जन्मों तक साथ रहने के सात वचन लिए और कान्हा के नाम का सिंदूर अपनी मांग में धारण किया।
फाइनल वीओ- वहीं इस मौके पर किसने क्या कहा आप भी सुनिए और साक्षी बनिए इस ऐतिहासिक शादी के… जहां केवल प्यार ही प्यार है और ईश्वर से इस प्रेम को जो भी आप नाम देना चाहें…हम तो इसे प्रीत ही कहेंगे जिसे उसकी मंजिल मिल गई।