उत्तराखंडधर्म-संस्कृति

विश्वविद्यालय ने” किया सर्वस्व दानी जननायक गुरु गोबिन्द सिंह “पुस्तक का लेखन

हरिद्वार से संवाददाता देवम मेहता : उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय ने वर्ष 2022 में श्री गुरु गोबिन्द सिंह शोधपीठ की स्थापना की थी । जिसके तत्वाधान में विश्वविद्यालय ने” सर्वस्व दानी जननायक गुरु गोबिन्द सिंह “पुस्तक का लेखन किया गया है जो की पूर्ण रूप से शोध पर आधारित पुस्तक है। इस पुस्तक का विमोचन बैसाखी के पावन पर्व पर उत्तराखंड राज्य के महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह द्वारा राज्यपाल भवन में होना तय हुआ है।

इस पुस्तक में श्री गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा बताए गए विचारों को शोध पर आधारित करके लिखने का प्रयास किया गया है क्योंकि आज संपूर्ण राष्ट्र चुनावी वातावरण में लगा है जहां हर पार्टी हिंदू, मुस्लिम ,सिख, इसाई की तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है ।

आज भारत में हिंदू व सिखों के बीच गहरी खाई पैदा हो गई है ।इस स्थिति में यह पुस्तक हिंदू और सिखों के बीच गहरी होती खाई को पाटने का काम करेगी। साथ ही युवाओं में वह जोश भरने का काम करेगी ।जिस जोश व विचारों के साथ श्री गुरु गोबिन्द सिंह ने अपना जीवन जिया है। इस पुस्तक में श्री गुरु गोबिन्द सिंह के त्याग व बलिदान को उकेरा गया है।

वहीं समाज को श्री गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा बताए गए विचारों पर चलने का आग्रह भी किया गया है आज का युवा जो नशे से अपना जीवन बर्बाद कर रहा है वह नशे को छोड़ अपने अंदर चेतना को जाग्रत करे और देश विरोधी ताकतों से लड़ने का संकल्प भी ले।

इस पुस्तक के लेखन की संकल्प महामहिम राज्यपाल जी ने शहजादों द्वारा अपने प्राणों को बलिदान करने वाले दिवस “वीर बलिदान दिवस “ के दिन लिया।पुस्तक को साकार रूप देने की बीड़ा उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेशचन्द्र शास्त्री ने अपने कंधों पर लिया।

विश्वविद्यालय के कुल सचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने इस पुस्तक के लेखन का दायित्व गुरु गोबिन्द सिंह शोधपीठ के समन्वयक डॉ० अजय परमार को सौंपा। अजय परमार ने शोध पर आधारित सर्वस्वदानी जननायक गुरु गोबिन्द सिंह नामक पुस्तक की रचना कर गोबिन्द सिंह के विचारों को जन- जन तक पहुँचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है ।

इस पुस्तक के विमोचन के सुअवसर पर हेमकुंड साहब के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिंद्रा एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति चिन्मय पण्ड्या व अन्य गणमान्य महानुभाव उपस्थित रहेंगे।

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