सद्भाव की सोच से कांग्रेस की और राजनीतिक करवट ले सकते है बांगर के लोग

धर्मपाल वर्मा
दक्ष दर्पण समाचार सेवा चण्डीगढ़।
जींद के आसपास का बांगर का क्षेत्र दो चीजों के लिए लंबे समय तक मशहूर रहा। लोग कहते थे कि असली हरियाणा के दर्शन करने हैं तो जींद चले जाओ। यहां लोग आज भी सीधे और सरल है भाईचारे और अतिथि सत्कार के लिए जाने जाते हैं। यहां ग्रामीण अंचल में आज भी लोग यह कोशिश करते देखे जाते हैं कि उनके यहां कोई मेहमान आए तो वह दो-तीन दिन रुक कर जाए। जींद के लोग इस बात के लिए भी बहुत लंबे समय तक मशहूर रहे कि वह अपने बड़े और प्रभावशाली नेताओं का मजबूती के साथ-साथ देते थे । यह वही लोग हैं जिन्होंने 1977 में जनता पार्टी की आंधी के बावजूद अपने दो नेताओं चौधरी वीरेंद्र सिंह और चौधरी शमशेर सिंह सुरजेवाला को हारने नहीं दिया। सब जानते हैं कि उस समय कांग्रेस मात्र 4 सीट ही जीत पाई थी।
1967 में पहला चुनाव लड़कर हरियाणा की राजनीति में महत्वपूर्ण दखल रखने वाले कांग्रेस के नेता स्व शमशेर सिंह सुरजेवाला जो नरवाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते थे जनता दल की 1987 की आंधी को छोड़कर कभी चुनाव नहीं हारे। नरवाना के लोगों ने अपनेपन का परिचय देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के मुकाबले भी रणदीप सिंह सुरजेवाला को विधानसभा भेजने का काम किया । इसी तरह 1972 से उचाना से विधानसभा का चुनाव लड़ते आ रहे चौधरी वीरेंद्र सिंह एक बार को छोड़कर कभी चुनाव नहीं हारे।
अपने नेताओं को सिर आंखों पर बिठाने वाले जींद के लोग कुछ कारणों से पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के प्रभाव में नजर आए और इंडियन नेशनल लोकदल ने जींद की पांचो विधानसभा क्षेत्रों अपना दबदबा कायम करके दिखाया। मौजूदा विधानसभा की बात करें तो जींद के इन्हीं लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को पांच में से चार विधायक देने का काम किया है । कांग्रेस जुलाना की एकमात्र वह सीट कड़े संघर्ष के बाद जीत पाई जिस पर कांग्रेस की एक तरफा जीत के दावे किए जा रहे थे। यहां भी मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के साथ ही था। एक बात साफ नजर आ रही है कि आने वाले समय में जींद में मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच में ही होने के आसार इस लिए बन रहे हैं कि बांगर के यह लोग एक या कई बार सब राजनीतिक दलों को समर्थन दे कर उनका टेस्ट कर चुके हैं और एक बार फिर कांग्रेस के समर्थन में आ सकते हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का दावा है कि भविष्य में इंडियन नेशनल लोकदल और जननायक जनता पार्टी के लिए जींद मतलब बांगर की भूमि राजनीतिक तौर पर उपजाऊ रहने वाली नहीं है ।इसका एक कारण यह है कि जींद में कांग्रेस नई अंगड़ाई लेती नजर आ सकती है।
जानकार दावा कर रहे है कि जींद उनके दिग्गज नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह के इकलौते पुत्र और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने सद्भाव यात्रा शुरू करके जींद जिले और बांगर के उन लोगों को यह सोचने को मजबूर कर दिया है कि हरियाणा में एक बार फिर उनकी चौधर आ सकती है। सद्भाव यात्रा का एक चरण पूरा हुआ है दूसरा चल रहा है तीन चरण की यात्रा है । जानकार इस बात को महसूस कर रहे हैं कि अभी राहुल गांधी यात्रा के समर्थन में हरियाणा आने वाले हैं। यात्रा के अंत तक ऐसी स्थिति आ सकती है कि कांग्रेस और बृजेंद्र सिंह हरियाणा की राजनीति में अलग ही रंग में नजर आने लगें।
जानकार इस बात का दावा कर रहे हैं कि इस यात्रा के बाद बृजेंद्र सिंह जींद जिले में एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित हो सकते हैं। यही संभावना भारतीय जनता पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल और जननायक जनता पार्टी के लिए चुनौती पूर्ण सिद्ध हुई तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। लोग एक बात को अच्छी तरह से समझ रहे हैं कि कांग्रेस को आईएएस अधिकारी के रूप में काम कर चुका राजनीति की घुट्टी का स्वाद चख चुका, दो को दो, चार को चार कहने ने वाला एक ऐसा नेता मिल गया है जो समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चल सकता है जिसमें ने अकड़ है ना मरोड़ न घमंड न ही हेरा फेरी। यह बातें धीरे-धीरे लोगों की समझ में आ रही है।
पाठकों को बता दें कि 7 दिसंबर रविवार को जींद में सद्भाव यात्रा के संदर्भ में सम्मान समारोह में जिस तरह का उत्साह और आसार नजर आए उसे बांगर की राजनीति में एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। इन हालातो को देखकर बांगर के लोगों के चेहरे पर आशा की जो किरण नजर आई उसे सहज ही समझा जा सकता था।



