उत्तराखंड

लालकुआँ में प्याऊ बने मज़ाक! आठ मटके खाली—प्यासे राहगीर, स्टेशन के बाहर कूड़े का अंबार और नगर पंचायत बेखबर

लालकुआँ में प्याऊ बने मज़ाक! आठ मटके खाली—प्यासे राहगीर, स्टेशन के बाहर कूड़े का अंबार और नगर पंचायत बेखबर।

रिपोर्टर गौरव गुप्ता।

लालकुआँ नगर पंचायत की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। शहर में राहगीरों के लिए लगाई गई प्याऊ व्यवस्था मात्र खानापूर्ति साबित हो रही है। रेलवे स्टेशन मुख्य द्वार के पास लगाए गए प्याऊ के सभी मटके खाली पड़े हैं, जिनकी न तो भराई हो रही है और न ही देखरेख। इससे लोगों की प्यास बुझने के बजाय उनकी परेशानी और बढ़ गई है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर पंचायत ने प्याऊ खोलकर सिर्फ औपचारिकता निभाई, लेकिन नियमित पानी भरने की जिम्मेदारी पूरी तरह अनदेखी कर दी गई। विडंबना यह है कि जहां प्याऊ लगाए गए हैं, वहां कूड़े का अंबार लगा है और पास में चलने वाला मुख्य नाला भी गंदगी से भरा पड़ा है, मगर जिम्मेदारों ने आंखें मूंद रखी हैं।

बताते चलें कि लालकुआँ शहर एक महत्वपूर्ण व्यवसायिक केंद्र है। गौला खनन व लकड़ी व्यापार के कारण रोजाना हजारों लोग यहां रेलवे से आवाजाही करते हैं। शहर की इसी महत्ता को देखते हुए नगर पंचायत ने स्टेशन गेट के पास आठ मटके लगाकर प्याऊ की व्यवस्था किए जाने का दावा किया था।

स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले यहां तत्कालीन चेयरमैन रामबाबू मिश्रा के कार्यकाल में इलेक्ट्रॉनिक वाटर कूलर लगे थे, जिनसे राहगीरों को साफ व शीतल जल मिलता था। लेकिन इस बार नगर पंचायत ने बिना कारण बताए उन वाटर कूलरों को हटाकर साधारण मटके लगा दिए—जो अब सूखे पड़े हैं।

लोगों का कहना है कि नगर पंचायत ने सिर्फ मटके लगाकर रस्म अदायगी कर दी, जबकि रोजाना इन्हें भरने की कोई व्यवस्था नहीं की गई। स्टेशन क्षेत्र में फैली गंदगी को लेकर भी लोगों ने नाराजगी जताई और कहा कि कूड़े से पटी सड़कों से होकर गुजरना यात्रियों की मजबूरी बन गया है।

स्थानीय निवासियों ने नगर पंचायत से शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने व प्याऊ में 24 घंटे स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने की मांग की है।

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