देव आनंद: 102वीं जयंती, केक, कहानी और संगीत का जादू

देव आनंद: 102वीं जयंती, केक, कहानी और संगीत का जादू
शिमला : ऐतिहासिक गेयटी थिएटर शुक्रवार शाम उस समय जीवंत हो उठा जब सदाबहार कलाकार देव आनंद को समर्पित एक मनमोहक प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। थ्री आर्ट्स क्लब और कात्यायनी की संयुक्त प्रस्तुति में लेखक-निर्देशक-अभिनेत्री उनकी भांजी सोहेला कपूर ने श्रोताओं को हिन्दी सिनेमा के सुनहरे दौर में पहुँचा दिया।
सोहेला की अंग्रेज़ी में लिखी कहानी का हिन्दी में अनुसृजन करने वाले अभिनेता निधिकान्त पाण्डेय ने इसमें नाटकीय तड़का दिया। वो कभी सवाल पूछते तो कभी देव आनंद के दार्शनिक और कलाकार के रूप को जीवंत करते। इस तरह देव आनंद के जीवन और उनकी सिनेमाई यात्रा से जुड़े रोचक प्रसंगों को बड़े दिलचस्प अंदाज़ में पिरोया गया।
नाटकीय कहानी के बीच-बीच में देव आनंद के अमर गीतों को पेश किया उनके हमनाम गायक देवानंद झा ने जिससे दर्शक झूम उठे। गेयटी थिएटर में देवानंद झा के साथ कभी लोग गुनगुनाते तो कभी मस्ती भरे गानों में झूम उठते।
कार्यक्रम की शुरुआत दिग्गज देव आनंद के लिए, ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में केक काटकर की गई। उसके बाद, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी श्रीनिवास जोशी का सम्मान किया गया जिन्होंने अपनी थिएटर यात्रा थ्री आर्ट्स क्लब के 1943 में शुरू होने के साथ ही की थी। कीकली ट्रस्ट को संभालने वाली वंदना भागरा को मंच पर सम्मानित करने के बाद कार्यक्रम शुरू हुआ।
कहानी और संगीत के संगम से ऐसा भावपूर्ण वातावरण बना जिसमें दर्शक पूरे समय डूबे रहे और साथ ही तालियों से कलाकारों की हौसला-अफ़ज़ाई भी करते रहे।
कई दर्शक दिल्ली और अन्य जगह से ये कार्यक्रम देखने शिमला पहुँचे थे। कई लोग उनके अंदाज़ में कपड़े पहनकर आए थे और उनके अंदाज़ में बात करते दिखे। दर्शकों की प्रशंसा ने साबित कर दिया कि देव आनंद का जादू आज भी बरक़रार है।
निर्माता अनुराधा दर ने बताया कि शिमला से ही 1943 में शुरु हुए थ्री आर्ट्स क्लब ने देव आनंद की 102वीं जयंती पर इस नई प्रस्तुति की शुरुआत की है लेकिन इसे देश में और भी कई जगह प्रस्तुत किया जाएगा।
अंत में जब कलाकारों ने मंच से शुक्रिया अदा किया तो दर्शकों ने खड़े होकर ज़ोरदार तालियों से उनका अभिवादन किया और कार्यक्रम में प्रस्तुत आख़िरी गीत को ही गुनगुनाने लगे – अभी ना जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं।