केदारघाटी की बेटी आशा नौटियाल की सफलता के पीछे एक सच्चा जीवन साथी का हाथ है

केदारघाटी की बेटी आशा नौटियाल की सफलता के पीछे एक सच्चा जीवन साथी का हाथ है।
हरीश चंद्र/ ऊखीमठ
कहते हैं, हर सफल इंसान के पीछे किसी न किसी का अटूट सहयोग होता है। केदारनाथ की बेटी और हजारों लोगों की प्रेरणा, आशा नौटियाल को “द आशा नौटियाल” बनाने में उनके पति, रमेश नौटियाल का योगदान एक मिसाल है।
रमेश नोटियाल न केवल एक मृदुभाषी, शांत स्वभाव के व्यक्ति हैं, बल्कि उनका जीवन एक ऐसा दर्पण है, जिसमें हर कोई सहयोग, समर्पण और सहजता की झलक देख सकता है। उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खूबी है उनका जनता के साथ सीधे अपनापन का रिश्ता। वो बिना शब्दों के भी लोगों का दिल जीतने की क्षमता रखते हैं।
चालीस वर्षों का संघर्ष और रमेश का अडिग संबल
जब आशा नौटियाल ने सामाजिक और राजनीतिक सफर की शुरुआत की, तब हर कदम पर रमेश का संयम, धैर्य और निस्वार्थ समर्थन उनके साथ खड़ा रहा।
चुनावी सभाओं में भीड़ से लेकर व्यक्तिगत समस्याओं को सुनने तक, रमेश जी हर जगह बिना किसी प्रदर्शन के, परदे के पीछे अपनी भूमिका निभाते रहे।
जब आशा की मेहनत और संघर्ष के क्षण मुश्किल लगते थे, तब रमेश उनका हौसला बढ़ाने वाले पहले और सबसे मजबूत शख्स थे।
उनके सीधे-सादे स्वभाव ने न केवल आशा को शक्ति दी, बल्कि जनता का विश्वास भी जीत लिया।
एक प्रेरणा जो हजारों के लिए मिसाल है
रमेश का यह योगदान सिर्फ एक पत्नी के सपनों को साकार करने का नहीं है, बल्कि यह संदेश है कि सच्चा जीवनसाथी वह होता है, जो अपने साथी को उड़ने के लिए पंख देता है और हर कठिनाई में ढाल बनकर खड़ा रहता है।
उनकी सादगी और मौन समर्थन ने आशा जी को वह साहस दिया, जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उन्हें जीत दिलाता रहा। यह केवल एक पारिवारिक रिश्ता नहीं, बल्कि संघर्ष और सफलता का साझा सफर है, जो हजारों लोगों के लिए प्रेरणा है।
रमेश : एक अज्ञात नायक
आशा की चमकती उपलब्धियों के पीछे रमेश की छवि हमेशा अज्ञात नायक की तरह रही। लेकिन उनकी मेहनत और सहयोग हर दिल में छिपे उस विश्वास को उजागर करता है कि जब किसी के सपनों में उसका साथी विश्वास करे, तो असंभव भी संभव बन जाता है।
“जहां आशा है, वहां रमेश का संबल है।
जहां संघर्ष है, वहां रमेश का धैर्य है।
जहां जीत है, वहां रमेश का अदृश्य योगदान है।”
रमेश नौटियाल को नमन, जो एक सच्चे साथी, मार्गदर्शक और प्रेरक के रूप में लाखों दिलों में बसते हैं।
“हर आशा को एक रमेश की जरूरत होती है।