उत्तराखंड

छठ पर्व पर अवकाश को लेकर पूर्व विधायक राजेश शुक्ला और विधायक तिलक राज बेहड़ के बीच तकरार

“छठ पर्व पर अवकाश को लेकर पूर्व विधायक राजेश शुक्ला और विधायक तिलक राज बेहड़ के बीच तकरार”

रिपोर्टर गौरव गुप्ता।

विधायक तिलक राज बेहड़ ने छठ पूजा के पुण्य अवसर पर मुझे बधाई देने की बजाय आरोप प्रत्यारोप लगाकर छठ पर्व पर पूर्वांचलवासियों का अपमान किया और प्रदेश में सरकार द्वारा छठ पूजा पर किए गए निर्बंधित अवकाश के बावजूद प्रेस को एक झूठा बयान दिया कि प्रदेश सरकार ने छठ पर अवकाश घोषित ही नहीं किया।

उक्त बात किच्छा से कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड़ द्वारा छठ पूजा पर सरकार के विरुद्ध व पूर्व विधायक राजेश शुक्ला के विरुद्ध दिए गए बयान के विरोध में आज प्रेस को जारी विज्ञप्ति में राजेश शुक्ला (पूर्व विधायक किच्छा) ने उक्त उद्गार व्यक्त किया!

शुक्ला ने कहा कि छठ महापर्व पर मेरे अनुरोध पत्र पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने निर्बंधित अवकाश घोषित किया था वह भी मात्र उधमसिंहनगर व हरिद्वार जनपद में, जबकि उसे समय में विपक्ष का विधायक था मैंने कोई श्रेय नहीं लिया था, मेरे ही पैड पर आदेश लिखा गया था। बाद में भाजपा की सरकार आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निर्बंधित अवकाश को मेरे ही अनुरोध पर सार्वजनिक अवकाश में बदल दिया था, परंतु 4 वर्ष पूर्व जब तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बने तो केंद्र सरकार के निर्देश पर वर्ष भर में कई सार्वजनिक अवकाश समाप्त किए गए जिसमें रक्षाबंधन एवं छठ पूजा के सार्वजनिक अवकाश भी थे।

शुक्ला ने कहा कि पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने पर 2021 में छठ पूजा का निर्बंधित अवकाश शुरू हुआ जो अभी तक जारी है। इस वर्ष भी निर्बंधित अवकाश में स्कूल- कॉलेज बंद रहे तथा कर्मचारियों को भी छुट्टी लेने की सुविधा थी!

विधायक जैसे जिम्मेदार पद पर निर्वाचित होने के बाद भी सरासर सफेद झूठ बोलना कि प्रदेश में छठ पर अवकाश नहीं है ये तिलक राज बेहड़ को शोभा नहीं देता।

हां यदि वे वास्तव में चाहते थे की छठ पर निर्बंधित अवकाश की जगह सार्वजनिक अवकाश हो तो क्या उन्होंने इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री या सरकार से समय रहते कोई मांग की? क्या कोई पत्र सौंपा? यदि मैं विपक्ष का विधायक होते हुए तत्कालीन कांग्रेस के मुख्यमंत्री हरीश रावत से छठ की निर्बंधित अवकाश का आदेश जारी करा सकता था तो यदि तिलक राज बेहड़ सार्वजनिक अवकाश चाहते थे तो वे भाजपा के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से क्यों नहीं करवा सकते थे? बेहड़ के हृदय में पूर्वांचलवासियों के लिए कोई सम्मान नहीं है, उन्होंने तो पूर्वांचल के नौजवानों पर फर्जी एनकाउंटर कराकर हत्या करवाई, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की प्रतिमा लगने का विरोध किया, मेडिकल कॉलेज का नाम करने का विरोध किया।

बेहड़ जिस विधानसभा का प्रतिनिधित्व मौजूदा समय में कर रहे हैं उसमें पूर्वांचल समाज के लोग बड़ी संख्या में हैं यदि उन्हें लगता है कि मेरे हारने से पूर्वांचल समाज की आवाज कमजोर हुई है तो पूर्वांचल बाहुल्य किच्छा विधानसभा का प्रतिनिधि होने के नाते उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर सार्वजनिक अवकाश क्यों नहीं कराया?

शुक्ला ने कहा कि पर्व / त्योहार पर उन्हें राजनीति करने से बाज आना चाहिए, कहां तो उन्हें मुझे फोन पर ही सही छठ महापर्व की बधाई देनी चाहिए थी, कहां वे झूठ बयान और आरोप- प्रत्यारोप की घटिया राजनीति कर रहे हैं।

शुक्ला ने चुटकी लेते हुए कहा कि उन्हें जो लोग जानकारी देते हैं वे योग्य नहीं है शायद इसीलिए उन्होंने यह गया गलत बयान दे दिया होगा।

जहां तक सार्वजनिक अवकाश समाप्त होने की बात है तो क्या 4 साल बाद विधायक को पता चला कि यह सार्वजनिक अवकाश समाप्त हो गया है, क्योंकि पिछली और उसे पिछली और उसे पिछली छठ पर भी सार्वजनिक अवकाश नहीं था, बेहड़ का कोई बयान नहीं आया। आज छठ महापर्व पर चिंता करने वाले तिलक राज बेहड़ ने पूर्व में मंत्री व विधायक रहते अपनी सरकार में छठ की याद नहीं आई? उन्होंने कहा कि अपना बयान दिलाने एवं लिखवाने के लिए पढ़े लिखे एवं योग्य लोग रखा करें, नहीं तो इसी प्रकार फजीहत होगी!

शुक्ला ने कहा विधायक कि जिम्मेदारी यदि वे नहीं उठा पा रहे हैं तो चुप रहे, गलत बयान बाजी से उन्हें नुकसान होगा तथा निर्बंधित अवकाश इस छठ पर था कि नहीं इस पर वह उनसे खुली बहस करने को तैयार हैं तथा हरीश रावत जी के मुख्यमंत्री रहते जो अवकाश हुआ था वो भी सार्वजनिक अवकाश न होकर निर्बंधित अवकाश ही था वो जगह तय करें, मीडिया बुलाए मैं सारे शासनादेश (G.O.) लेकर आऊंगा इस मुद्दे पर मैं बहस को तैयार हूं, समय और स्थान बताएं अन्यथा सार्वजनिक रूप से माफी मांगे।

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