ब्रेकिंग: 1 अक्टूबर से दिल्ली में एंट्री नहीं कर पाएंगी उत्तराखंड की 200 बसें
Breaking: 200 buses of Uttarakhand will not be able to enter Delhi from October 1
देहरादून: उत्तराखंड से दिल्ली जाने वाली रोडवेज की 250 में से 200 बसों पर एक अक्तूबर से ब्रेक लग जाएंगे। दरअसल, दिल्ली सरकार ने सिर्फ बीएस-6 बसों को ही एंट्री देने का पत्र भेजा है। बीएस-6 मानक वाली 22 वॉल्वो और कुछ अनुबंधित बसें मिलाकर सिर्फ 50 बसें ही परिवहन निगम के पास हैं। हाल ही में दिल्ली परिवहन विभाग के विशेष आयुक्त ओपी मिश्रा की ओर से उत्तराखंड परिवहन निगम को एक पत्र मिला है।
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दिल्ली सरकार ने उत्तराखंड परिवहन निगम की 200 बसों पर एक अक्टूबर से दिल्ली में एंट्री पर रोक लगा दी है। राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बाद दिल्ली सरकार ने यह फैसला लिया है। दिल्ली सरकार ने उत्तराखंड परिवहन निगम को एक पत्र लिखा है। पत्र के हिसाब से निगम की लगभग 200 से अधिक बसें दिल्ली जाने के लायक ही नहीं है।
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दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्रालय ने उत्तराखंड सहित तमाम राज्यों को पत्र भेजकर यह कहा है कि दिल्ली में एक अक्टूबर से अब सिर्फ बीएस-6 इंजन वाली बसों की ही एंट्री होगी। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने बीते दिनों दिल्ली सरकार को चेताया था। एनजीटी ने कहा था कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह दिल्ली में वाहनों की संख्या है।
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ऐसे में दिल्ली सरकार ने तो अपने तमाम विभागों में परिवर्तन करते हुए गाड़ियों को सीएनजी में तब्दील कर दिया है और जो बसें अभी बची है उसको 1 अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसीलिए दिल्ली सरकार ने सभी राज्यों को एक अक्टूबर तक का समय दिया है। एक अक्टूबर के बाद दिल्ली के बॉर्डर से अंदर बीएस-4 इंजन वाली गाड़ियां नहीं जाएंगी।
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उत्तराखंड परिवहन निगम के पास मौजूदा समय में लगभग बीएस-6 की 22 बसें हैं। लगभग 30 से अधिक बसें अनुबंध पर हैं। गढ़वाल और कुमाऊं रोजाना करीब 130 बीएस-6 बसें दिल्ली के लिए प्रस्थान करती हैं। इन बसों से निगम को दिल्ली की बसों से अच्छी कमाई होती है। दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद परिवहन निगम ने आनन-फानन में लगभग 140 बीएस 6 बसों का टेंडर निकाला है।
निगम के अधिकारी उम्मीद जता रहे हैं कि जल्द ही तारीख आने से पहले इस टेंडर प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। निगम की कोशिश रहेगी कि यात्रियों को किसी भी तरह की दिक्कतें नहीं होने दी आएगी। अगर किसी की वजह से कोई परेशानी आती भी है तो उसके अन्य विकल्प भी तलाशे जा रहे हैं। परिवहन निगम के एमडी रोहित मीणा की माने दोनों ने शासन को इस बाबत जानकारी दे दी है और जल्द ही कोई ठोस निर्णय ले लिया जाएगा।
क्या होता है बीएस-6
बीएस का मतलब होता है भारत स्टेज। इसका सीधा संबंध उत्सर्जन मानकों से होता है। दरअसल बीएस-6 इंजन से लैस वाहनों में खास फिल्टर लगे होते हैं, जिससे 80-90 फीसदी पीएम 2.5 जैसे कण रोके जा सकते हैं। इससे नाइट्रोजन ऑक्साइड पर भी नियंत्रण लगता है। जिसकी वजह से प्रदूषण पर काफी रोक लगेगी। ऑटो एक्सपर्ट के मुताबिक बीएस-6 गाड़ियों में हवा में प्रदूषण के कण 0.05 से घटकर 0.01 रह जाते हैं। जिससे वातावरण साफ रहता है। बीएस-6 इंजन से लैस गाड़ियों से (पेट्रोल और डीजल) होने पर प्रदूषण 75 फीसदी तक कम होता है।
दिल्ली सरकार से पत्र मिल चुका है। एक अक्तूबर से बीएस-4 बसों की एंट्री बंद होगी। इससे पहले ही हमने बीएस-6 बसों की खरीद शुरू कर दी है। हमने हाल ही में 141 बीएस-6 बसों की खरीद का टेंडर निकाला है। उम्मीद है, उससे पहले ही हम इस समस्या से पार पा लेंगे।