
देहरादून: उत्तराखंड चुनाव के लिए जबकि कुछ चार महीने भी नहीं रह गए हैं, तब सियासी हलचलें ज़ोरों पर आ चुकी हैं। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा में यही चर्चा चल रही थी कि क्या आगामी चुनाव मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। इसी बीच इस चर्चा में एक नया एंगल और आ गया है ‘युवा प्रदेश, युवा मुख्यमंत्री’ के नारे को बूस्ट अप करते हुए बीजेपी विधानसभा चुनाव में अब ‘युवा कैंडिडेट’ का दांव खेलने जा रही है। यानी सिर्फ सीएम ही नहीं बल्कि पूरी की पूरी सरकार पर युवा का टैग लगाने की कवायद है। यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी के मौजूदा सिटिंग विधायकों में से दो दर्जन से अधिक नेताओं का पत्ता साफ हो सकता है।
उत्तराखंड में मार्च तक नई सरकार अस्तित्व में आ जाएगी. इसके लिए जोड़ तोड़ जोरों पर है। बीजेपी ने दो सीएम बदलकर तीसरे सीएम के रूप में युवा विधायक पुष्कर धामी की ताजपोशी की, तो कांग्रेस ने पांच-पांच प्रदेश अध्यक्ष बनाकर क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने की कोशिश की। इस बीच बीजेपी ने कई इंटरनल सर्वे कराए। इसके आधार पर तय किया गया कि एंटी इनकम्बेसी को कम करने के लिए कमज़ोर परफॉर्मेंस वाले सिटिंग विधायकों का टिकट काटा जाएगा। अब बीजेपी इससे भी आगे प्लान कर रही है।
प्लान है कि ‘युवा प्रदेश, युवा मुख्यमंत्री’ के नारे को बुलंद करते हुए अब युवाओं को टिकट में भी प्राथमिकता दी जाए। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक आगामी चुनाव में युवाओं को प्राथमिकता देने के संबंध में पार्टी के फोकस की बात कह चुके हैं। इधर, इस मामले में उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि पार्टी युवाओं को महत्व देगी, लेकिन ‘इसका अर्थ यह नहीं है कि जो 60 पार की उम्र के नेता हैं, उन्हें कोई स्थान नहीं मिलेगा। राजनीतिक पारी तो 50 की उम्र के बाद ही शुरू होती है। पार्टी ध्यान रखेगी कि किसे कहां स्थान दिया जाएगा।
युवा मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की तो एक तरह से पुष्टि हो ही चुकी है। अब युवा सरकार को लेकर भी अगर कोई पार्टी लाइन बनती है तो एक निश्चित ऐज ग्रुप पार कर चुके और पुअर परफॉर्मेंस वाले सिटिंग विधायकों का टिकट कटना तय है। पार्टी सूत्रों की माने तो इंटरनल सर्वे और ऐज लिमिट के दायरे में करीब दो दर्जन से अधिक सिटिंग विधायक सीधे तौर पर आ रहे हैं।