धर्म-संस्कृति

फैसला : ‘रील बनाकर पैसे कमाना इस्लाम में हराम’

फैसला : ‘रील बनाकर पैसे कमाना इस्लाम में हराम’, 

पश्चिम बंगाल : दिनाजपुर में तीन दिनों से चल रही जमीयत उलेमा ए हिंद की शरीयत के मामलों को लेकर एक बैठक चल रही थी। इस बैठक में कहा गया है कि नाच गाना करके या अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालकर कमाया गया पैसा इस्लाम में नाजायज और हराम है। इस प्रस्ताव पर दारुल उलूम देवबंद के मुफ़्ती समेत लगभग 200 मुफ्तियों ने सहमति दर्ज करते हुए इसे पास कर दिया।

बंगाल में इस सम्मेलन का मकसद वर्तमान समय में शरीयत के लिहाज़ से जायज और नाजायज कामों देखना था। इस सम्मेलन में दो प्रस्ताव पास किए गए, जिसमें पहला प्रस्ताव नाजायज और हराम धन कमाने और खर्च करने को लेकर था। इसमें सभी मुफ्तियों ने कहा कि ब्याज, रिश्वत, चोरी, जुआ और सट्टा समेत ऐसे काम जिनमें दूसरे को तकलीफ पहुंचाकर धन कमाया गया हो, वह नाजायज़ और हराम है। इस दौरान वर्तमान समय में सोशल मीडिया पर नाच गाना करके या अपनी तस्वीर डालकर कमाए गए धन को भी नाजायज करार दिया गया।

दूसरा प्रस्ताव बकरीद में सामूहिक तौर पर होने वाली जानवरों की कुर्बानी को लेकर था। इसमें कहा गया कि मुसलमान को चाहिए कि बकरा ईद के मौके पर ऐसी संस्थाओं में अपने पैसे कुर्बानी के लिए ना दें जो सामूहिक तौर पर कुर्बानी करवाते हैं। बल्कि अपनी कुर्बानी को खुद करने की कोशिश करें। यह ज्यादा बेहतर है। प्रस्ताव में कहा गया कि सामूहिक तौर पर जो संस्था कुर्बानी करने की जिम्मेदारी लेती है उनमें कई बार सही जिम्मेदारी न निभाने की शिकायत मिलती है। इसलिए अपनी कुर्बानी खुद ही करें।

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