लालकुआं तहसील में बिंदुखत्ता को लेकर बड़ा प्रदर्शन, उग्र आंदोलन की चेतावनी

बिंदुखत्ता के ग्रामीणों की लालकुआं तहसील में हुंकार”जल्द बनाएं बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव” दी आर पार लड़ाई की चेतावनी।
स्थान- लालकुआँ
रिपोर्टर – गौरव गुप्ता
लालकुआँ बिन्दुखत्ता वनाधिकार समिति द्वारा लालकुआं तहसील में आयोजित एकदिवसीय धरना कार्यक्रम जिसे चाय पर चर्चा का नाम दिया गया है।
धरने में सैकड़ो की संख्या में ग्रामीणों ने शिरकत करते हुए बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव घोषित करने की राज्य सरकार से मांग की। वही लालकुआं तहसील प्रांगण में एकदिवसीय धरना कार्यक्रम के दौरान बिंदुखत्ता से जुड़े तमाम राजनीतिक एवं स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं ने एक स्वर से तत्काल बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की मांग की।
इस मौके पर कार्यक्रम में पहुंची मातृशक्ति ने भी जल्द ही बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने के लिए सख्त कदम उठाने की सरकार से मांग की।
सुबह प्रातः10 से दोपहर तक धरना चलता रहा, जिसमें लगभग दो दर्जन से अधिक वक्ताओं ने संबोधित किया। कार्यक्रम में कांग्रेस, भाजपा, पूर्व सैनिक संगठन और वनाधिकार समिति से जुड़े लोगों ने शिरकत की।
बताते चले कि बिंदुखाता गांव को प्रस्तावित राजस्व गांव और बिंदुखत्ता को आरक्षित वन क्षेत्र की सूची से हटाने की मांग को लेकर शुक्रवार को हजारों की संख्या में लोग लालकुआं तहसील पहुंचे जहां सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
इस दौरान ग्रामीणों ने बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की जोरदार मांग की। वनाधिकार समिति बिंदुखत्ता के बैनर तले हजारों ग्रामीण, युवा व महिलाओं का हुजूम लालकुआं तहसील परिसर में पहुंचा जहां प्रदर्शनकारी बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाओ के नारे लगा रहे थे।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा की विधायक व सांसद ने बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने का वादा कर वोट बटोरे लेकिन सरकार बनने के बाद बिंदुखत्ता को गांव बनाने के लिए भूल जाते हैं।
उत्तराखंड के बने 25 साल हो चुके हैं कई मुख्यमंत्री बदले गए सभी ने बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की घोषणा की लेकिन अभी तक घोषणाएं पूरी नहीं हुई। प्रदर्शनकारियों ने दो टूक शब्दों में साफ कहा है कि राजस्व गांव से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है।
उन्होंने साफ कहा कि चुनाव के वक्त वादे तो किए जाते हैं, लेकिन वो वादे चुनाव खत्म होने के बाद याद नहीं रहते हैं।राजस्व गांव को लेकर जहां कमेटी भी गठित की गई जहां जिलाधिकारी के माध्यम से सरकार तक रिपोर्ट गई लेकिन डेढ़ साल बाद रिपोर्ट में आपत्ति लगा दी गई है।
जिसके चलते राजस्व गांव को लेकर ग्रामीण चिंतित है। उन्होंने कहा कि बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाए जाने के लिए अब बड़ी लड़ाई लड़ने जा रहे हैं।
आने वाले समय में नैनीताल से लेकर देहरादून तक इसकी लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी है अगर जल्द ही सरकार ने बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव का दर्जा नहीं दिया तो उग्र आन्दोलन किया जाएगा।



