उत्तराखंड

CM हेल्पलाइन से शिक्षा विभाग तक गूंजा एवरग्रीन स्कूल विवाद

CM हेल्पलाइन से शिक्षा विभाग तक गूंजा एवरग्रीन स्कूल विवाद
बस चालक ने लगाए मजदूरी और उत्पीड़न के आरोप, स्कूल प्रबंधन ने बताया बेबुनियाद—जांच रिपोर्ट CEO को सौंपी

रिपोर्टर गौरव गुप्ता।

हल्द्वानी (नैनीताल)। बेरीपड़ाव स्थित एवरग्रीन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में तैनात बस चालक भाष्कर पंत द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों ने शिक्षा विभाग में हलचल मचा दी है। चालक ने मानसिक उत्पीड़न, बस चालक होने के बावजूद मजदूरी कराए जाने और विरोध करने पर बिना सूचना सेवा से पृथक करने का आरोप लगाते हुए सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई थी। यह शिकायत संख्या 9013358 के तहत दर्ज हुई, जिसके बाद विभागीय स्तर पर जांच शुरू की गई।

शिकायतकर्ता का कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने उनसे ईंट-बजरी ढोने जैसे कार्य कराए। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो बिना किसी पूर्व सूचना के नौकरी से हटा दिया गया, जिससे उनके सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया। इस संबंध में चालक ने खंड शिक्षा अधिकारी, हल्द्वानी कार्यालय में भी लिखित शिकायत दी थी।

मामले की जांच के लिए खंड शिक्षा अधिकारी, हल्द्वानी ने पत्रांक 2736-37  03 दिसंबर 2025 को स्कूल प्रबंधन से आख्या तलब की। इसके जवाब में स्कूल प्रबंधन ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा और हितों को देखते हुए चालक को तत्काल प्रभाव से परिवहन संबंधी दायित्वों से मुक्त किया गया। साथ ही यह भी बताया गया कि उन्हें नवंबर 2025 तक का बकाया वेतन बुलाकर दिए जाने की बात कही गई है।

पूरे प्रकरण की जांच आख्या अब एल-2 स्तर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी, नैनीताल को अग्रेतर कार्रवाई के लिए भेज दी गई है।

उधर, एवरग्रीन सीनियर सेकेंडरी स्कूल प्रबंधन ने चालक द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें निराधार बताया है। स्कूल प्रबंधक गौरव पाठक ने कहा कि चालक के आरोप तथ्यहीन हैं। उन्होंने बताया कि सीएम पोर्टल पर दर्ज शिकायत के बाद चालक को बुलाकर बातचीत की गई, जिसमें चालक ने स्वयं शिकायत वापस लेने और पुनः विद्यालय में कार्य पर रखने का आग्रह किया।

स्कूल प्रबंधन का दावा है कि संस्था हमेशा नियमों के तहत कार्य करती और कर्मचारियों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं किया जाता। प्रबंधन का कहना है कि मामले को आपसी संवाद से सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि कार्य वातावरण सौहार्दपूर्ण बना रहे।

अब दोनों पक्षों के विपरीत दावों के बीच यह देखना अहम होगा कि शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय जांच में क्या तथ्य सामने आते हैं और किस पक्ष को राहत मिलती है।

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