उत्तराखंड

बिन्दुखत्ता में पहली बार सजेगा “गढ़-कुमु महोत्सव” एक मंच पर दमकेगी कुमाऊँ- गढ़वाल की अनूठी संस्कृति” कार्यक्रम को लेकर लोगों में भारी उत्साह

बिन्दुखत्ता में पहली बार सजेगा “गढ़-कुमु महोत्सव” एक मंच पर दमकेगी कुमाऊँ- गढ़वाल की अनूठी संस्कृति” कार्यक्रम को लेकर लोगों में भारी उत्साह।

रिपोर्टर गौरव गुप्ता। लालकुआँ

लालकुआँ कुमाऊं और गढ़वाल की समृद्ध लोकसंस्कृति को एक ही मंच पर लाने का ऐतिहासिक प्रयास बिन्दुखत्ता में पहली बार होने जा रहा है। झांझर सांस्कृतिक कला समिति के तत्वावधान में आयोजित “गढ़-कुमु महोत्सव”21 दिसंबर से 25 दिसंबर तक अपनी सांस्कृतिक भव्यता बिखेरेगा। पांच दिवसीय महोत्सव में उत्तराखंड की परंपराओं, लोक नृत्य, लोकगीत, पहनावे और खानपान की अनूठी झलक देखने को मिलेगी। कार्यक्रम को लेकर पूरे बिन्दुखत्ता क्षेत्र में उत्साह का माहौल है।

महोत्सव के दौरान छोलिया नृत्य, झोड़ा-चांचरी, जागर, घटेली, शगुन आँखर, बैर भगनौल जैसे पारंपरिक रंग बिखेरने वाले प्रस्तुतियां होंगी। साथ ही कवि सम्मेलन, पारंपरिक व्यंजन स्टॉल और स्थानीय विद्यालयों के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी आकर्षण का केंद्र रहेंगी।

इधर कार्यक्रम के संयोजक जीवन पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि यह बिन्दुखत्ता के इतिहास का पहला अवसर है जब कुमाऊं और गढ़वाल की विरासत एक मंच पर सिमटने जा रही है।

उन्होंने बताया कि महोत्सव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, कुमाऊँ कमिश्नर दीपक रावत, डीएम नैनीताल ललित मोहन रयाल सहित कई गणमान्य लोगों के शिरकत करने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि राज्य की लोकसंस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुँचाने और दोनों मंडलों की परंपराओं को जोड़ने के उद्देश्य से यह महोत्सव एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। पांडे ने क्षेत्रवासियों से अपील की कि वे अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर कार्यक्रम को सफल बनाएं। उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और संजोने के उद्देश्य से आयोजित यह महोत्सव बिन्दुखत्ता के लिए इतिहास रचने वाला साबित होने जा रहा है।

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