खैर के पेड़ों की तस्करी के मामले में मौन सूबे के प्रमुख वन संरक्षक हॉफ डॉ धनजय मोहन, “मीडिया के सवाल पर साधी चुप्पी”, रनसाली रेंज का मामला”दबाने में लगा वन महकमा
खैर के पेड़ों की तस्करी के मामले में मौन सूबे के प्रमुख वन संरक्षक हॉफ डॉ धनजय मोहन, “मीडिया के सवाल पर साधी चुप्पी”, रनसाली रेंज का मामला”दबाने में लगा वन महकमा
रिर्पोट- गौरव गुप्ता
देहरादून/लालकुआँ। लालकुआँ तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी डिवीजन की रनसाली रेंज में वन अफसरों की कोताही के कारण धड़ल्ले से हरे भरे बेशकीमती खैर,सागौन के पेड़ों की धुआंधार कटाई जारी है बेखबर वन महकमा वन माफियाओं पर शिकंजा कसने में नाकाम साबित हो रहा है। जिसके चलते वन माफिया बेखौफ होकर खैर, सागौन के पेड़ों को काटने में लगे हैं। लेकिन हैरानी की बात कि वन महकमा खैर तस्करों पर आदेश के बाद भी कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साधे हुए हैं।अधिकारियों की कार्रवाई महज कागजों तक सीमित है जबकि जंगलों में पेड़ों के ठूंठो की अबार है।
इधर बीते दिनों रनसाली रेंज में हुई खैर के पेड़ों की अवैध कटाई और उनकी तस्करी के मामले में सूबे के प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) डॉ धनजय मोहन भी मौन नजर आये।
उन्होंने रनसाली रेंज में खैर के पेड़ों की हुई धुआंधार कटाई पर मीडियाकर्मी द्वारा पुछे गए अब तक की कार्रवाई के सवाल पर चुप्पी साध ली और कैमरा देखकर गाड़ी में बैठकर तुरंत भागते नजर आये।जबकि उनके द्वारा सूबे में पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण पर जोर दिया जा रहा है। वही प्रमुख वन संरक्षक (हाॅफ) की इस चुप्पी से साफ हो गया है कि वन मुखिया भी वनों में हो रही लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिए बिल्कुल गम्भीर नही है जिसके चलते माफियाओं का मनोबल सांतवे आसमान पर है और पेड़ों की अवैध कटाई जारी है। फिलहाल यहाँ मामला क्षेत्र में चर्चा का बिषय बना हुआ है।
दरअसल तराई पूर्वी वन प्रभाग हल्द्वानी डिवीजन की रनसाली रेंज के जंगलों में दर्जनों खैर,सागौन के पेड़ों की धुआंधार अवैध कटाई से परेशान स्थानीय वन गुर्जरों ने रेंज में तैनात वनकार्मिकों पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए मामले कि लिखित शिकायत वन विभाग के उच्च अधिकारियों से लेकर क्षेत्रीय विधायक डाॅ मोहन सिंह बिष्ट से की थी। बकायदा वन गुर्जरों ने बीती 17 जुलाई को खैर एवं सागौन की लकड़ी से लदी एक ट्रैक्टर की ट्राली को पकड़कर वन विभाग को सौपी थी। लेकिन वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने तस्करों पर कार्रवाई की वजह वन गुर्जरों पर ही तस्करी का आरोप लगाते हुए उनकी एक मोटरसाइकिल पकड़कर सीज कर दिया।
जिसके बाद वन गुर्जरों ने उक्त जंगल से खैर के लगभग 15 पेड़ों के काटे जाने का खुलासा किया जिसकी कुछ लकड़ी वन विभाग ने खुलासे के बाद बरामद कर ली। वन गुर्जरों ने आरोप लगाया कि जंगल के बीच अक्सर वन माफिया रेंज में तैनात वनरक्षकों के साथ मिलकर बेखौफ होकर बेशकीमती खैर,सागौन के पेड़ों की कटाई कर उनकी तस्करी करते आ रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाए कि जंगल में सैकड़ों खैर,सागौन के पेड़ अब ठूंठो में तब्दील हो गये हैं।लेकिन इसके बावजूद भी वन विभाग मौन बैठा हुआ। उन्होंने मामले की गम्भीरता को देखते हुए इसकी शिकायत सूबे के
अपर प्रमुख वन संरक्षक डाॅ समीर सिन्हा से की जिसके बाद सिन्हा ने मामले की जांच कुमाऊँ कजंरवेटर को दी लेकिन उनके आदेश के बाद भी विभाग द्वारा जांच में लापरवाही बरती जा रही है कहें कि जांच कछुआ गति से चल रही है। इधर सूत्रों की माने तो उक्त प्रकरण को दबाने की भरपूर कोशिश की जा रही है। वन विभाग और वन गुर्जरों के बीच समझौते को लेकर बैठकों का दौर जारी है लेकिन वन गुर्जरों की मांग बड़ी होने के चलते समझौता अभी तक लटका हुआ है।
इधर इसी मामले को लेकर आज मीडियाकर्मी ने हरिद्वार पहुंचे सूबे के प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) डॉ धनजय मोहन से अब तक हुई कार्रवाई को लेकर जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने उक्त प्रकरण पर मौन धारण कर लिया ।
प्रमुख वन संरक्षक(हॉफ ) ने रनसाली रेंज में खैर के पेड़ों की हुई धुआंधार कटाई पर मीडियाकर्मी द्वारा पुछे गए कार्रवाई के सवाल पर चुप्पी साध ली और वहं कैमरा देखकर गाड़ी में बैठकर तुरंत भागते नजर आये।जबकि उनके द्वारा सूबे में पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण पर जोर दिया जा रहा है। वही प्रमुख वन संरक्षक (हाॅफ) की इस चुप्पी से साफ हो गया है कि वन मुखिया भी वनों में हो रही लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिए बिल्कुल गम्भीर नही है।जिसके चलते माफियाओं का मनोबल सांतवे आसमान पर है और पेड़ों की अवैध कटाई जारी है।फिलहाल यहाँ मामला क्षेत्र में चर्चा का बिषय बना हुआ है।