उत्तराखंड

लालकुआं : डौली रेंज इलाके से होनी वाली लकड़ी तस्करी पर वर्षों से….

लालकुआँ से संवाददाता गौरव गुप्ता। तराई पूर्वी हल्द्वानी वन प्रभाग की डौली रेंज इलाके से होनी वाली लकड़ी तस्करी पर वर्षों से रोक नहीं लग पा रही है। वन तस्कर लगतार सागौन, शीशम, खैर जैसी बेशकीमती वृक्षों को काटकर उनकी लकड़ियों की तस्करी कर रहे हैं। ऐसे में यदि वन विभाग द्वारा कभी-कभार कोई कार्रवाई की भी जाती है तो अधिकांश मामलों में वन विभाग की कार्रवाई के दौरान वन तस्कर फरार होने में कामयाब हो जाते हैं जो वन विभाग की कार्रवाई को लेकर अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

वहीं बात करें बीते छह महीनों की, तो इन छह महीनों में वन विभाग की टीम ने अवैध खनन व अवैध तस्करी में लगभग एक दर्जन से अधिक मामले पकड़े हैं। जिनमें एक-दो मामलों को छोड़कर अधिकांश मामलों में तस्कर वन विभाग की कार्रवाई के बीच से फरार होना बताए गए हैं। ऐसे में सवाल ये है कि वन विभाग तेज तर्रार वन कर्मियों की धर-पकड़ कार्रवाई के दौरान आखिर तस्कर फरार होने में सफल कैसे हो जाते हैं अथवा सांठ-गांठ के तहत जानबूझकर छोड़ दिए जाते हैं। बताया जा रहा है कि इसमें भी बड़ा खेल खेला जा रहा है जिसकी विभागीय जांच होना बेहद जरूरी है।

इधर ऐसा ही मामला शनिवार दोपहर का है जहां डौली रेंज की वन विभाग टीम ने मुखबिर की सूचना पर किच्छा स्थित बाईपास से पिकअप वाहन में लदी अवैध सेमल की लकड़ी को पकड़ने में सफलता प्राप्त की है। जिसमें छह गिल्टे सेमल के बरामद हुए हैं। लेकिन हमेशा की तरह इस कार्रवाई में भी वन तस्कर फरार बताए जा रहे हैं। भरी दोपहर दिन के उजाले में तस्कर फरार हो जा रहे हैं जो वन विभाग अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्य क्षमता पर बड़ा प्रश्न चिन्ह है। बताया जा रहा है कि यह सब एक सोची समझी और आपसी साठ-गांठ के तहत किया जाता है।

बताते चलें कि डौली रेंज बीते कई वर्षों से लकड़ी तस्करी का बड़ा केंद्र रहा है। यहाँ क्षेत्र गौलानदी के साथ साथ शक्तिफार्म, आनन्द नगर, बंशघर व किच्छा सहित कई ईलाकों से लगा हुआ है। इसमें खैर, सागौन, शीशम व साल की बेशकीमती लकड़ी पाई जाती है। जिसकी सुरक्षा के लिए विभाग ने इस क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक वन चौकियां के साथ ही कई जगह चेकपोस्ट बनाए हैं। जहां विभागीय अधिकारियों के मुताबिक दिन-रात चौकसी बरती जाती है। बावजूद इसके डौली रेंज में लकड़ी तस्करी बेरोक-टोक जारी है।

सूत्रों की मानें तो डौली रेंज से लकड़ी तस्करी कर किच्छा के रास्ते पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश को भेजी जाती है और लकड़ी तस्करों का नेटवर्क किच्छा, शान्तिपुरी से लेकर शाक्तिफार्म समेत आसपास के क्षेत्रों में फैला हुआ है जो बेरोक-टोक लड़की तस्करी की घटना को अंजाम देते हैं। वही वन विभाग द्वारा कभी-कभार कार्रवाई तो की जाती है लेकिन विभाग की कमजोरी कहे या मिलीभगत का फायदा उठाकर अधिकतर मामलों में वन विभाग की कार्रवाई के दौरान लकड़ी तस्कर हाथ से फिसलते रहे हैं।

ऐसे में लगातार फरार होते वन तस्कर वन विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवालिया निशान लगा रहे हैं। इसलिए ऐसे तमाम मामलों की जांच होनी चाहिए ताकि वन विभाग की धर-पकड़ कार्रवाई के दौरान लगातार फरार होते लकड़ी तस्करों के फरार होने की असलियत सामने आ सके।

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