
देहरादून: उत्तराखंड में भी कांग्रेस के अंदर सब कुछ सही नहीं चल रहा है। उत्तराखंड में हरीश रावत का नाम सबसे दिग्गज नेताओं में शुमार है। राजनीतिज्ञ के माहिर हरीश रावत प्रदेशवासियों के बीच में अपने अलग राजनीतिक अंदाज के लिए भी जाने जाते हैं। भले ही हरक सिंह रावत ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि इस घोटाले में हरीश रावत पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को जेल भेजना चाहते थे और इसके लिए उन पर लगातार दबाव बनाया गया।
लेकिन हरक सिंह रावत ने साफ तौर पर कहा कि उन्होंने हरीश रावत की बात नहीं मानी और त्रिवेंद्र सिंह रावत को क्लीन चिट देने का काम किया। वही अब जब हरीश रावत से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर हरक सिंह रावत के बयान को खारिज कर दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जब त्रिपाठी आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी। तब वह एम्स में अपनी जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ रहे थे।
ऐसे में उनके पास किसी को जेल भेजने का समय ही नहीं था। लेकिन कुछ समय बाद जब मेरे पास फाइल आई तो मैंने उसमें पाया कि बहुत ही पुख्ता प्रमाण उसमें नहीं थे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राजनीतिक समय में कुछ ऐसे फैसले हो जाते हैं जिसमें आप की संलिप्तता नहीं होती। लेकिन फिर भी वह फैसले हो जाते हैं। ऐसे में घोटाले को लेकर मैंने साफ तौर पर कहा था कि मुख्यमंत्री मंत्री और सचिव कि इसमें कोई संलिप्तता दिखाई नहीं देती है। इसलिए मैंने उस पर बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दी।
वही उनके अनुसार मेरे पास तो कईं ऐसी फाइलें भी थी जो मेरे राजनीतिक विरोधियों की थी। लेकिन उस पर भी मैंने कभी ऐसा फैसला नहीं लिया। क्योंकि उसमें उतने पुख्ता प्रमाण नहीं मिले थे। मैं चाहता तो जिन्होंने मेरी सरकार गिराई मैं उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता था। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। साफ है हरीश रावत का बयान हरक सिंह रावत के बयान से बिल्कुल जुदा है। यानी हरीश रावत साहब कह रहे हैं कि हरक सिंह रावत जो कह रहे हैं वह झूठ है।