उत्तराखंड

कई थानों और चौकियों में वर्षों से जमे कई पुलिस कर्मी

लालकुआं से गौरव गुप्ता। नैनीताल जिले के कई थानों और चौकियों में कई पुलिस कर्मी वर्षों से जमे हुए हैं। ऐसे में लालकुआं कोतवाली भी शामिल है जहां कई सिपाही अंगद के पैर की तरह कई वर्षो से जमे हुए हैं। पुलिस नियमावली के तहत किसी थाने में कोई भी सिपाही व अधिकारी तीन वर्षों से अधिक समय तक नहीं रह सकता है। लेकिन लालकुआं कोतवाली सहित नैनीताल जिले के कई थानों व चौकियों में कई सिपाही वर्षों से जमे हुए हैं।

बीते दिनों जारी हुई तबादला सूची से भी उक्त पुलिस वाले बच निकले हैं। कई बार तबादला सूची बनी जिसमें कथित सेटिंगबाजी और ऊंची पैरवी से उक्त सिपाही अब तक बचे चले आ रहे हैं। जबकि जिन सिपाहियों का तबादला हुआ वे भी जुगाड़ बैठाकर आसपास के थानों और चोकियों में पदस्थापना ले चुके हैं। वहीं बताया जा रहा है कि बीते तीन वर्षों से अधिक समय से जमे पुलिसकर्मी विभाग के लिए अवैध कमाई का जरिया बन चुके हैं।

सूत्रों कि माने तो वर्षों से तैनात स्थानीय कोतवाली क्षेत्र की भौगोलिक स्थित से पूरी तरह वाफिक यह पुलिस वाले ठेले वालों से लेकर बड़े व्यापारियों और अवैध धंधों में शामिल लोगों से अपनी अच्छी पहचान बना चुके हैं और इसी का फायदा उठाकर वह हर महीने मोटी कमाई कर रहे हैं जो कहीं ना कहीं विभाग की व्यवस्था पर बड़ा सवाल है। बताते चले कि पुलिस मुख्यालय के आदेश हैं कि कोई भी पुलिसकर्मी एवं अधिकारी किसी एक ही कोतवाली, थाने व चौकी में तीन वर्षों से अधिक समय तक तैनात नहीं रह सकता है परन्तु लालकुआं समेत जिले के विभिन्न थानों, चौकियों में कई सिपाही अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं। जो विभागीय व्यवस्था की कमी को दर्शाता है। वही बीते बर्षो में कई आईपीएस बदले लेकिन तमाम सिपाही तबादला सूची से बचते चले आ रहे हैं। सूत्रों से पता चला है कि कुछ ऐसे सिपाही है जिनका तबादला अन्यत्र थाने में हो चुका है परन्तु अटैचमेंट के चलते वे जमे हुए हैं।
हाल ही में नवनियुक्त डीजीपी अभिनव कुमार ने स्पष्ट कहा है कि जिन थानों में वर्षो से जमे सिपाहियों और अधिकारियों के नाम तबादला सूची में नहीं दिए गए तो संबधित थाना प्रभारी पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं विगत कई बर्षो से घूम रहे नैनीताल जिले के आसपास के थानों में कुछ ऐसे पुलिसकर्मी हैं जो तीन बर्ष से अधिक समय से लालकुआं समेत जिले के विभिन्न थानों में रहकर अपना कार्यकाल गुजार रहे हैं अथवा इन थानों में रहकर मोटी कमाई कर रहे हैं। एक ही थाने में वर्षो से जमे हुए पुलिस कर्मियों का तबादला ना होना कहीं ना कहीं विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है। जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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