वनों में भोजन की कमी के चलते जंगली हाथी आबादी वाले क्षेत्रों में आने को मजबूर
Due to lack of food in the forests, wild elephants are forced to come to populated areas.
लालकुआं से गौरव गुप्ता। वनों में भोजन की पर्याप्त व्यवस्था न होने और भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हाथियों की जान मुश्किल में पड़ती दिखाई दे रही है।इसी कारण बीते कुछ सालों में रेलगाड़ी की चपेट में आकर लगभग आधा दर्जन से अधिक हाथी अपनी जान गवां चुके हैैं।
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बताते चले कि लालकुआं का कुछ क्षेत्र हाथी कारीडोर में आता है ऐसे में यहां हाथियों का विचरण स्वभाविक है वनों में भोजन पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण हाथी अपने पेट की भूख शांत करने के लिए सीमैप,बिन्दुखत्ता व हल्दूचौड़ क्षेत्रों में अक्सर विचरण करते रहते हैैं तराई केंद्रीय वन प्रभाग के टांडा व हल्द्वानी रेंज में आने वाले इस क्षेत्र के बीच से होकर ही हल्द्वानी-बरेली व हल्द्वानी-रुद्रपुर रेलवे ट्रैक व हाईवे गुजरता है। जिस के चलते रेलवे ट्रैक रेलगाड़ियों और नेशनल हाईवे पर रात-दिन वाहनों का आवागमन होता रहता है। इस क्षेत्र में हाथी कारीडोर होने के कारण हाथियों का झुंड अक्सर रेलवे ट्रैक व हाईवे को पार करता रहता है। जिसके चलते इस स्थान के अक्सर हाथी दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं हालांकि पूर्व में हुई दुर्घटनाओं के बाद रेल विभाग और वन विभाग के बीच रात्रि के समय गूलरभोज, पन्तनगर, रूद्रपुर तथा हल्द्वानी मार्ग पर धीमी गति से रेल गाड़ी चलाने पर समझौता हुआ था। बावजूद इसके दुर्घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। जिस वजह से अब तक आधा दर्जन से अधिक हाथियों को असमय अपनी जान गंवानी पड़ी है।
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वहीं लगातार हो रही दुर्घटनाओं को देखते हुए वन विभाग के अधिकारियों ने पूर्व में सुभाष नगर से नगला बाईपास के बीच हाथी कारीडोर क्षेत्र में ओवर ब्रिज या अंडर पास बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन आज तक उस पर अमल नहीं हो सका है। बताया जा रहा है कि वन विभाग एक बार फिर से ओवर ब्रिज या अंडर पास बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है।
वहीं वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो लालकुआँ क्षेत्र के कुछ इलाके हाथी कारीडोर क्षेत्र में आते हैं जहां हाथी सदियों से राजा जी नेशनल पार्क से नेपाल तक आवागमन करते रहे हैं। उनका कहना है कि जंगली जानवर एक सीमित क्षेत्र में नहीं रह सकते। वनों में भोजन की कमी के चलते हाथी भोजन की तलाश में अनेकों बार आबादी वाले क्षेत्रों में आ धमकते हैं और किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वहीं वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाथियों के नेचुरल कारीडोर व वासस्थलों पर अतिक्रमण के चलते हाथी आबादी में घुसकर उत्पात मचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रस्ताव तैयार हैै जिन पर उच्च स्तर पर मंथन चल रहा है।
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बताते चलें कि वन विभाग द्वारा वनों में हाथियों के भोजन, पानी की पर्याप्त व्यवस्था ना किया जाना भी वन्यजीव और मानव संघर्ष की घटनाओं को बढ़ावा दे रहा है। साथ ही वन विभाग और रेल विभाग में आपसी तालमेल का ना होना भी हाथियों के लिए कल साबित हो रहा है। ऐसे में वन के जिम्मेदार कितनी भी सफाई दें लेकिन वे अपनी जबावदेही से बच नहीं सकतें हैं।
Breaking : ट्रेन की चपेट में आने से मादा हाथी घायल! उपचार जारी
इधर मंगलवार की रात्रि तराई केंद्रीय वन विभाग के टांडा रेंज में रेलगाड़ी की चपेट में आने से एक मादा हाथी घायल हो गई है जिसके पैर गम्भीर चोटें आई वही वन विभाग द्वारा घायल हाथी का उपचार किया जा रहा हैं।
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बताते चले कि मंगलवार की रात को दिल्ली जाने वाली रानीखेत एक्सप्रेस लालकुआं से करीब 2 किलोमीटर आगे पहुंची थी कि टांडा रेंज में रेलगाड़ी के आगे एक मादा वयस्क हाथी आ गया। रेलगाड़ी के लोको पायलट ने ब्रेक लगाने के प्रयास किया परंतु तब तक हाथी रेलगाड़ी की चपेट में आ गया, जिससे हाथी गंभीर रूप से घायल हो गया। सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई है।
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इधर टाडा़ रेंज के वन क्षेत्राधिकारी रूपनारायण गौतम ने बताया कि घायल मादा हाथी के पैर में चोट आई जिसका उपचार किया जा रह है वही रात्रि में वनकर्मियों की तैनाती की गई है।