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उत्तराखंड: आज से खुली विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी! पर्यटक कर सकेंगे दीदार

जानिए एंट्री के लिए क्या है नियम...?

More than 500 rare flower species are present here.

अगर आपको नेचर और ग्रीनरी के साथ ही फूलों की हजारों प्रजातियां देखने में दिलचस्पी है तो उत्तराखंड आपकी राह देख रहा है। उत्तराखंड स्थित यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल फूलों की घाटी आज से पर्यटकों के लिए खुल गयी है।

उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है। चमोली जिले में 3,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, फूलों की घाटी में जून से अक्टूबर तक पर्यटक जा सकते हैं। फूलों की घाटी को 2004 में यूनेस्को ने विश्व प्राकृतिक धरोहर घोषित किया था।

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फूलों की घाटी छह सौ से अधिक फूलों की प्रजातियों का घर है, जिसमें ब्रह्मकमल जैसी कुछ फूलों की किस्में भी शामिल हैं, जो उत्तराखंड का राज्य फूल भी है। अन्य किस्मों में ब्लू पोस्पी शामिल हैं, जिन्हें फूलों की रानी, ब्लूबेल, प्रिमुला, पोटेंटिला, एस्टर, लिलियम, हिमालयन ब्लू पोपी, डेल्फीनियम और रैनुनकुलस आदि हैं।

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इस क्षेत्र में तेंदुए, कस्तूरी मृग और नीली भेड़ जैसी प्रजातियों के साथ एक समृद्ध जीव विविधता भी है। इसे 2004 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। पार्क प्रशासन ने 4 किमी पैदल मार्ग की मरम्मत के साथ रास्ते पर 2 पैदल पुल का निर्माणकार्य भी पूरा कर दिया है। इस साल फूलों की घाटी में 12 से अधिक प्रजाति के फूल समय से पहले खिल गए हैं।

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चमोली स्थित फूलों की घाटी को देखकर ऐसा लगता है, जैसे किसी ने खूबसूरत पेंटिंग बनाकर यहां रख दी हो। चारों तरफ ऊंचे-ऊंचे पर्वत और उन पर्वतों के ठीक नीचे यह फूलों की घाटी प्रकृति का मनोरम दृश्य है। यहां घूमने के लिए विदेशियों और भारतीय पर्यटकों से अलग-अलग शुल्क लगता है।

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घांघरिया से करीब एक किलोमीटर के दायरे में वन विभाग की चौकी मिलती है, यहीं से फूलों की घाटी शुरू होती है। यहीं पर शुल्क जमा होता है। यहां जाएं, तो कोई परिचय पत्र अवश्य साथ रखें । घांघरिया तक खच्चर भी मिलते हैं।

गोविंद घाट पर सस्ते प्लास्टिक रेनकोट भी उपलब्ध हो जाते हैं। यहां गाइड भी उपलब्ध हैं। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित फूलों की घाटी करीब 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है। 1982 में यूनेस्को ने इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था। यहां 500 से अधिक दुर्लभ फूलों की प्रजातियां मौजूद हैं।

फूलों की घाटी 3 किलोमीटर लंबी और लगभग आधा किलोमीटर चौड़ी है। यहां पर आने के लिए जुलाई, अगस्त और सितंबर महीना सबसे बेहतर रहता है। चारधाम यात्रा पर अगर आप आ रहे हैं तो बदरीनाथ धाम जाने से पहले आप यहां पर आ सकते हैं। राज्य सरकार की तरफ से गोविंदघाट में रुकने की व्यवस्था है, लेकिन आप यहां पर रात नहीं बिता सकते हैं। लिहाजा आपको शाम ढलने से पहले आपको पार्क से लौटना ही पड़ेगा।

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