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बाबा विश्वनाथ मां जगदीशीला की 24वीं डोली रथ यात्रा पहुंची भवाली

बाबा विश्वनाथ मां जगदीशीला की 24वीं डोली रथ यात्रा पहुंची भवाली

बाबा विश्वनाथ मां जगदीशीला की 24वीं डोली रथ यात्रा पहुंची भवाली

रिपोर्टर- गौरव गुप्ता : बाबा विश्वनाथ मां जगदीशीला की 24वी डोली रथ यात्रा भवाली पहुंचने पर सामाजिक कार्यकर्ता एवं डोली रथ यात्रा यात्रा की कुमाऊं संयोजक , खष्टी बिष्ट की अगुवाई में देवी मंदिर भवाली में डोली पहुंचने पर पारंपरिक वेशभूषा में महिलाओं ने किया भव्य स्वागत।

सभी श्रद्धालुओं ने ‌बाबा विश्वनाथ मां जगदीश शीला डोली पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने फूल माला चुनरी अक्षत चंदन के साथ मां के डोली रथ‌ यात्रा का स्वागत किया।
डोली रथ यात्रा के मुख्य संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी और उनके सहयोगीयों को कुमाऊनी टोपी और अंग वस्त्र पहनाकर सम्मान किया गया।

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पूर्व कैबिनेट मंत्री यात्रा के मुख्य संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी ने बताया कि डोली रथ यात्रा 24वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। यह यात्रा 29 दिवसीय संपूर्ण उत्तराखंड के देव दर्शन और देश सुख शांति बहाली के लिए की जाती है 13 जनपदों से होते हुए यह यात्रा विभिन्न धर्मों एवं संप्रदायों के शक्तिपीठ होते हुए मुख्य रूप से हिंदुओं के विश्व प्रसिद्ध धाम गंगोत्री यमुनोत्री केदारनाथ बद्रीनाथ तथा सिखों के हेमकुंड सहित कई छोटे-बड़े धामों को होते हुए एकता का संदेश देते हुए आगे बढ़ती है। वे लगातार 23 वर्षों से इस डोली के कार्यक्रम को चलाते आ रहे हैं।

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मुख्य संयोजक नैथानी जी ने बताया कि डोली के अंदर शिव और शक्ति की मूर्तियां प्राण प्रतिष्ठत हैं। 29 दिवसीय भ्रमण के बाद गंगा स्नान कर विशोन पर्वत पर अपने स्थान पर स्थापित कर दिए जाते हैं। मां जगदीश हिंदाव पट्टी में शक्तिपीठ के रूप में पूजी जाती है। यह डोली बोली बोलती है चिन्ह लगाती है। जिस किसी भक्तों को आशीर्वाद देना होता है उसके पास स्वयं ही डोली जाती है।

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डोली यात्रा विशुद्ध रूप से देव यात्रा है इसमें केवल देवताओं और देवियों का ही आगमन‌ होता है।
यह यात्रा गंगा दशहरा के 30 दिन पूर्व विशोन पर्वत से चलकर विश्व शांति के लिए पूरे देवभूमि उत्तराखंड में 10,500 किलोमीटर की दूरी एवं देवालयों की परिक्रमा कर अपने भक्तों गणों को आशीर्वाद देकर कर पुनः ‌विशोन पर्वत पर यात्रा का समापन करती है।
डोली का मुख्य उद्देश्य।
विश्व शांति कायम की कामना।
देव संस्कृति को कायम रखने की कामना।
विश्व प्रसिद्ध चार धाम गंगोत्री यमुनोत्री केदारनाथ बद्रीनाथ के अलावा उत्तराखंड में हजार धाम स्थापित करना।

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देववाणी संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए 1000 संस्कृत विद्यालय खोले जाने‌ हेतू। यात्रा निकाली जाती है। डोली रथ यात्रा के स्वागत अभिनंदन में सामाजिक कार्यकर्ता रम्भा साह लीला अधिकारी, पुष्पेश पांडे, मंशा साह, भगवती कपिल,माया पंत, जानकी आर्य , पुष्पा बिष्ट,कंचन साह ,पुष्पा देवी,रमा जोशी,‌गीता लोहनी, मुन्नी तिवारी, सरस्वती देवी,मनीश साह,पूरन सिंह भाकुनी, भुवन चंद्र तिवारी,सीमा साह, सरस्वती रौतेला,गोरव जोशी सहित कई लोग उपस्थित थे।

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