उत्तराखंड

वन माफिया का आतंक: 14 सागौन के पेड़ कटे, जंगल उजड़े…

वन विभाग की नाक के नीचे वन संपदा पर आरी, तराई केन्द्रीय वन प्रभाग रूद्रपुर डिवीजन की पीपल पड़ाव रेंज के प्लाट संख्या 40 से सागौन के 14 हरे-भरे पेड़ों पर चलाई आरी, तस्कर फरार

रिपोर्टर गौरव गुप्ता।

लालकुआं/ तराई केंद्रीय वन प्रभाग रुद्रपुर डिवीजन की पीपल पड़ाव रेंज में वन माफिया का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। प्लाट संख्या 40 से लकड़ी तस्करों ने बेसकीमती सागौन के 14 हरे-भरे वृक्षों पर आरी चला दी, जबकि यह स्थान रेंज ऑफिस से महज डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस घटना के बाद से वन तस्कर मौके से फरार है। वही वन विभाग फरार तस्करों की तलाश में जुटा है।

इधर स्थानीय लोग पूछ रहे हैं कि इतनी बड़ी वारदात के बावजूद वन विभाग को भनक तक क्यों नहीं लगी। मामला गंभीर है क्योंकि इससे कहीं न कहीं वन कर्मियों की मिलीभगत और लापरवाही साफ झलक रही है।

वही वन्यजीव व पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि यह केवल पेड़ों की चोरी नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के हरे भविष्य पर हमला है। सवाल उठ रहा है कि आख़िर कब जागेगा विभाग और कब होगी ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई।

मुख्य बिंदु प्लाट संख्या 40 में सागौन के 14 पेड़ काटे गए, स्थान रेंज ऑफिस से महज 1.5 से 2 किलोमीटर की दूरी पर

विभाग को वारदात की भनक तक नहीं लगी ,वन कर्मियों की मिलीभगत पर उठ रहे गंभीर सवाल,स्थानीय लोगों में विभाग की कुंभकर्णी नींद पर आक्रोश

जनता की आवाज़

स्थानीय ग्रामीणों ने विभाग पर तीखा हमला बोला। लोगों का कहना है कि—
“अगर इतनी संख्या में पेड़ काटे जा सकते हैं तो यह निश्चित है कि सब कुछ मिलीभगत से हुआ है।”
“यह भ्रष्टाचार का खेल है, वरना रेंज ऑफिस से इतनी नज़दीकी पर इतनी बड़ी चोरी मुमकिन ही नहीं।”
“वन विभाग सिर्फ कागज़ों में काम कर रहा है, ज़मीनी स्तर पर कोई निगरानी नहीं।”

वन विभाग की चुप्पी

घटना के बाद मीडिया द्वारा पूछे जाने पर वन विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने अब तक आधिकारिक बयान देना जरूरी नहीं समझा। विभाग की यह चुप्पी ही लोगों के शक को और गहरा कर रही है।

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