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अब गन्ने के रस से दौड़ेगी गाड़ी! फ्लेक्स इंजन की खासियत

Now the car will run with sugarcane juice! Features of Flex Engine

जी हाँ अब पेट्रोल इंजन, डीजल इंजन, सीएनजी इंजन के बाद फ्लेक्स इंजन भी भारत में अगले 6 महीने में आ जायेगा। फ्लेक्स इंजन की खासियत होगी कि आज जब चाहे पेट्रोल से गाड़ी चलाएं जब चाहे बायो फ्यूल (जैव ईंधन) से गाड़ी चलाएं। इसके लिए एक ही इंजन होगा और इस इंजन का नाम होगा – फ्लेक्स इंजन। यानी अब गन्ने के रस से बनने वाले फ्यूल से गाड़ी दौड़ेगी और इसकी कीमत 65 रु लीटर होगी, जो पेट्रोल की कीमत से लगभग 40-50 रु लीटर कम होगी।

देश के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीते मंगलवार को बताया कि भारत अगले छह महीनों में 100 फीसदी बायो-फ्यूल (जैव-ईंधन) पर चलने वाले वाहनों की पेशकश करना ऑटो निर्माताओं के लिए अनिवार्य कर देगा। नितिन गडकरी ने घरेलू ब्रोकरेज एलारा कैपिटल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “हम फ्लेक्स इंजन मानदंडों के साथ वाहन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने एक निर्णय लिया है, हम इसे अनिवार्य बना देंगे, जिसके जरिए एक फ्लेक्स-इंजन मिलेगा।”

गडकरी ने कहा कि यह कदम उन उपभोक्ताओं के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा, जो पेट्रोल की ऊंची कीमतों से परेशान हैं। उन्होंने कहा कि पेट्रोल की कीमत जहां 110 रुपये तक पहुंच गई है, उसकी तुलना में एक लीटर बायोएथेनॉल की कीमत 65 रुपये है। यह वैकल्पिक ईंधन कम प्रदूषणकारी है और विदेशी मुद्रा बचाता है।

सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल बेचने वाली सुविधाओं पर जैव-ईंधन की पेशकश करने का आदेश दिया। “छह महीने के अंदर, हम फ्लेक्स इंजन को अनिवार्य बनाने के आदेश देंगे।” गडकरी ने कहा कि सरकारी तेल कंपनियों को पहले ही पेट्रोल और डीजल बेचने वाली सुविधाओं पर जैव-ईंधन की पेशकश करने का आदेश दिया जा चुका है।

क्या होता है फ्लेक्स इंजन- यह सामान्य इंटर्नल कंब्शन इंजन (ICE) इंजन जैसा ही होता है। लेकिन इस लिहाज से खास होता है कि यह एक या एक से ज्यादा तरह के ईंधन से चल सकता है। सामान्य भाषा में समझें तो इस इंजन में पेट्रोल और इथेनॉल या मेथनॉल के मिश्रण का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

इस इंजन में ईंधन सेंसर का उपयोग किया जाता है जो कि इंजन में ईंधन के मुताबिक खुद को एडजस्ट कर लेता है। यानी गाड़ी पेट्रोल से चलाओ या बायोफ्यूल से इंजन खुद एडजस्ट हो जाएगा। चावल, मक्का, धान और चीनी जैसी फसलों से बायोएथेनॉल बनेगा-

गडकरी ने कहा कि उपभोक्ताओं के पास पेट्रोल और बायोएथेनॉल के बीच चुनने का विकल्प होगा। इस विकल्प पर स्विच करना भी देश के लिए जरूरी है क्योंकि चावल, मक्का, धान और चीनी जैसी फसलों के का उत्पादन ज्यादा होता है और इससे बायोएथेनॉल बनाया जाता है।

गडकरी ने कहा कि कई फसलों में, किसानों को दी जाने वाली न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) वाणिज्यिक मूल्य या अंतरराष्ट्रीय कीमतों से अधिक है, जिससे देश की समग्र बेहतरी के लिए फसल को इस ओर मोड़ना जरूरी हो जाता है।

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