
रुड़की/हरिद्वार:-खुदा के घर देर है अंधेर नहीं ये कहावत आज पूरी तरह से चरितार्थ होती दिखाई दी है। पीड़ित को एक लंबे इंतजार के बाद कोर्ट से इंसाफ मिला है। आरोपी जेल की सलाखों के पीछे पहुँच गए हैं।
आपको बता दें कि पूरा मामला मंगलोर कोतवाली के गांव गाधारोना का है, जहां पीड़ित सुलतान ने बताया कि मेरे द्वारा कोतवाली मंगलोर में एक पार्थना पत्र देकर मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिसका फैसला अब आया है। जिससे मैं बहुत खुश हूँ। मुझे कानून पर पूरा भरोसा था कि कानून मेरे साथ जरूर इंसाफ करेगा तो आज वो घड़ी आयी है।
वादी मुकदमा सुल्तान के द्वारा थाना कोतवाली मंगलौर पर तहरीर इस आशय की प्रस्तुत की गयी थी कि ” नूर हसन व उसके परिवार वाले हमसे रंजिश रखते हैं तथा हत्या करने की फिराक में रहते हैं । करीब एक माह पूर्व भी इन लोगों ने मेरे तयाजात भाई नदीम पर जानलेवा हमला किया था। जिसमें वह बच गया था, तभी से ये लोग उसकी हत्या की योजना बना रहे थे।
शाम करीब 04-4:30 बजे की बात है, जब नदीम अपने खेत की ओर जा रहा था कि तभी रास्ते में योजना बनाकर बैठे सुभान उर्फ सोनू , शहजाद पुत्रगण नूरहसन तथा शमशेर पुत्र जुल्फान ने उसके ऊपर पुलिया के पास जानलेवा हमला कर दिया। जिससे नदीम घायल हो गया। उसे उठाकर ये तीनों करीब में मौजूद चरखी की भट्टी में डालकर जलाकर हत्या करने की नियत से उसे लेकर चल दिए।
तभी मौजूद मनव्वर खान तथा आलम उर्फ निन्ना ने नदीम को इन लोगों से बचाया। तब ये तीनों अपने घर की ओर दौड़े और अपने घर की छत पर पहुंच कर इन्होने अपने साथ जुबैर पुत्र महबूब को भी ले लिया और इन लोगों ने देशी तमंचे , बंदूक , राइफल से घर की तरफ लौट रहे नदीम , मनव्वर खान , आलम उर्फ निन्ना व 12 वर्षीय बालक महबूब पुत्र मौ ० आलम पर हत्या की नियत से फायर झौंक दिया। जिससे आलम व नदीम बाल बाल बच गए , परन्तु बालक महबूब घायल हो कर गिर गया।
गोलियां उसके पैर में लगी जिससे उसके भारी खून चला , उसे घायल अवस्था में मंगलौर अस्पताल ले जाया गया , जहां से उसकी नाजुक दशा को देखते हुए रूड़की अस्पताल रैफर कर दिया गया। वहां हालत बिगड़ती जा रही है और डाक्टर हायर सेन्टर रैफर करने की बात कर रहे हैं। हम लोग पूरी रात उसकी तिमारदारी में लगे रहे और अब तहरीर लिखकर आ रहा हूँ। अंत में मुकदमा दर्ज करने की याचना की गई थी।
आज फैसला मिलने पर सुल्तान के परिवार सहित सबके चेहरे ख़ुशी से फुले नहीं समा रहे हैं। इस पूरे मामले से एक बात तो तय है जिस प्रकार हमारे देश में आए दिन अपराध बढ़ते रहते हैं लेकिन उसके साथ अपराध पर अंकुश पर लगाने के लिए हमारी न्यायपालिका लगातार प्रयास करती रहती है, जिस प्रकार इस पीड़ित को न्यायालय द्वारा राहत भरा फैसला मिला है। उसी प्रकार अनेकों लोग भी इसी फैसले के इंतजार में लगातार कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं।
पीड़ित सुल्तान को मिला इंसाफ
इस प्रणाली को सुधार करने की जरूरत है ताकि पीड़ित को जल्द से जल्द न्याय मिल सके। आरोपी जो खुलेआम घूम रहे होते हैं उनके खिलाफ शिकंजा कसा जा सके। आज इस फैसले में कोर्ट ने आरोपियों को 7-7 साल की सजा और बतौर जुर्माना 10000-10000 रुपये आर्थिक दण्ड के रूप में वसूलने का फैसला सुनाया है जो प्रशंसा के लायक़ है।