उत्तराखंड

गांव की धरोहर में ‘कूड़ाखाना’! प्रशासन की अनदेखी ने गंगापुर का प्राचीन पोखरा कर दिया बर्बाद

गांव की धरोहर में ‘कूड़ाखाना’! प्रशासन की अनदेखी ने गंगापुर का प्राचीन पोखरा कर दिया बर्बाद।

हल्द्वानी। विकासखंड की ग्राम पंचायत गंगापुर कबड़वाल का कृष्णा नवाड़ चौराहा आज एक शर्मनाक दृश्य का गवाह बन चुका है। चौराहे की शान रहा सदियों पुराना ऐतिहासिक पोखरा अब पूरी तरह बदहाली का प्रतीक बन गया है। कभी ग्रामीण सैकड़ों बेजुबान मवेशियों की प्यास बुझाने के अलावा ग्रामीणों की आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र रहा यह धरोहर अब कूड़ा-कचरे और राख के ढेर में बदल चुकी है।

पूर्व प्रधान इंदु कबड़वाल के कार्यकाल में जलागम विभाग द्वारा पोखरे का सौंदर्यीकरण किया गया था और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना अमृत सरोवर में भी शामिल किया गया था। उम्मीद थी कि यह स्थल गांव के विकास की मिसाल बनेगा, लेकिन हालात बिल्कुल उलटे हैं—आज इस धरोहर की कद्र करने वाला कोई नहीं।

ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ समय पूर्व सेंचुरी पेपर मिल की राख डालकर पोखरे को पाटने की कोशिश की गई, लेकिन ग्रामीणों के प्रबल विरोध के चलते यह प्रयास रोकना पड़ा। विभाग ने थोड़ी-बहुत राख हटाई जरूर, मगर उसकी मोटी परत आज भी पोखरे को प्रदूषण और बदसूरती के दलदल में धकेल रही है।

ग्रामवासियों ने जलागम विभाग और विकास खंड प्रशासन पर गंभीर उपेक्षा का आरोप लगाया है। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत चुनावों से पहले उन्होंने खंड विकास अधिकारी से समाधान की गुहार लगाई थी। अधिकारी ने प्रस्ताव भेजने का भरोसा दिया, मगर महीनों बाद भी हालात जस के तस हैं।

पंचायत के पूर्व प्रधान समाजसेवी उमेश कबड़वाल का कहना है कि यह पोखरा सिर्फ चौराहे की सुंदरता का केंद्र नहीं, बल्कि गांव की ऐतिहासिक पहचान है। इसके बावजूद प्रशासन इसे उसके हाल पर छोड़ चुका है। लोगों की मांग है कि तत्काल पोखरे की सफाई, संरक्षण और पुनरुद्धार की कार्रवाई की जाए, ताकि इसकी खोई गरिमा फिर लौट सके।

ग्रामीणों ने यह भी खुलासा किया कि इस मामले की शिकायत पंचायत चुनावों से पहले मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल पर भी की गई थी, परंतु अधिकारियों की लापरवाही के चलते मुख्यमंत्री का यह महत्वाकांक्षी पोर्टल भी धूल फांक रहा है। शिकायत पर आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

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