उत्तराखंड

उत्तराखंड: झोलाछाप चिकित्सक से उपचार के दौरान 2 वर्षीय मासूम की दर्दनाक मौत

उनके घर का इकलौता चिराग बुझ जाने से पूरा परिवार अत्यधिक सदमे में है।

लालकुआं से मुकेश कुमार की रिपोर्ट: बिंदुखत्ता क्षेत्र में झोलाछाप चिकित्सक से इलाज कराने के दौरान तबीयत बिगड़ने के चलते उपचार के दौरान बिंदुखत्ता निवासी 2 साल के मासूम बच्चे की दर्दनाक मौत हो गयी। जबकि दूसरे परिवार का एक अन्य बच्चा गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती है। इसके अलावा भी बरेली रोड क्षेत्र से दो बच्चों के गलत उपचार हो जाने के बाद हालत बिगड़ जाने के चलते अस्पताल में भर्ती होने की सूचना है।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार बिंदुखत्ता के शास्त्रीनगर प्रथम निवासी विनोद नैनवाल ने गत 24 मई की दोपहर को तबीयत खराब होने पर अपने 2 वर्षीय पुत्र लक्ष्य का काररोड स्थित एक निजी क्लीनिक में उपचार कराया। क्लीनिक संचालक ने उन्हें जो दवाई दी जैसे ही उन्होंने बच्चे को वह दवा खिलाई तो उसके बाद बच्चे की तबीयत तेजी से बिगड़ती चली गई।

जिसे उन्होंने तुरंत ही हल्द्वानी एसटीएच चिकित्सालय में ले जाकर भर्ती करा दिया। जहां शनिवार की शाम उपचार के दौरान बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई। बच्चे की मौत से परिवार में कोहराम मचा हुआ है। बच्चे की मां कमला नैनवाल का रो रो कर बुरा हाल है। उनके घर का इकलौता चिराग बुझ जाने से पूरा परिवार अत्यधिक सदमे में है।

इसके अलावा बिंदुखत्ता के ही ढलान चक्की निवासी शंकर भारद्वाज के 8 माह के पुत्र आरव का स्वास्थ्य खराब था, उसे परिजन 24 मई को ही काररोड स्थित एक क्लीनिक में ले गए उक्त बच्चे के परिजनों ने भी जैसे ही क्लीनिक से दवाई खरीदी और उसे खिलाई तो बच्चे की हालत बिगड़ गई, उक्त बालक को एसटीएच चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है जहां उसका उपचार चल रहा है।

बच्चे के पिता शंकर भारद्वाज ने बताया कि 3 दिन अत्यधिक हालत खराब रहने के बाद अब उनके बच्चे के स्वास्थ्य में कुछ सुधार हुआ है। इस मामले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोटाहल्दु के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ हरीश पांडे का कहना है कि उन्हें घटना की जानकारी शनिवार की शाम मिली थी जिस पर उन्होंने छानबीन शुरू कर दी है।

फिलहाल जगह-जगह बिना डिग्री के खुल रहे झोलाछाप क्लिनिको में बच्चों का भविष्य सुरक्षित नहीं है, इसके लिए क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जहां जन जागरूकता की आवश्यकता है, वही लालकुआं और बिंदुखत्ता क्षेत्र में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के दोपहर 2 बजे ही बंद हो जाने के चलते उक्त क्षेत्रों में 24 घंटे की इमरजेंसी सेवा शुरू करने की आवश्यकता क्षेत्रवासियों द्वारा जताई जा रही है।

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