दिल्ली

भारत गौरव अवार्ड से सम्मानित हुए वरिष्ठ पत्रकार केपी मलिक

भास्कर समाचार

नई दिल्ली। भारत के जाने-माने संस्थान काली रमन फाउंडेशन की ओर से 11वां रहबर-ए-आज़म सर छोटू राम मेमोरियल “भारत गौरव अवार्ड-2025” का आयोजन किया गया। इस समारोह में अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली महान हस्तियों को सम्मानित किया गया, जो शिक्षा, पत्रकारिता, समाज सेवा, राजनीति, खेल, स्वास्थ्य आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों से ताल्लुक़ रखती हैं। सम्मानित होने वालों में पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने धारदार, संपादकियों, लेखों और जीरो ग्राउंड रिपोर्ट्स के लिए चर्चा में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार एवं दैनिक भास्कर के राजनीतिक संपादक के.पी. मलिक का नाम भी शामिल है।

“भारत गौरव अवार्ड-2025” से सम्मानित होने के अवसर पर के.पी. मलिक ने मीडिया की भूमिका और अपनी बेबाक़ पत्रकारिता के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस सम्मान के लिए आयोजक मंडल का धन्यवाद दिया और कहा कि यह सम्मान उनके लिए एक नई ऊर्जा प्रदान करता है और देश व समाज के लिए ज़िम्मेदार बने रहने की प्रेरणा देता है।

पत्रकारिता और समाजसेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले देनिक भास्कर के राजनीतिक संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार के. पी. मलिक को मिला यह महत्वपूर्ण सम्मान यह तय करता है कि अगर कोई व्यक्ति अपने काम को ईमानदारी, लगन और मेहनत से सकारात्मक सोच के साथ करे, तो न सिर्फ़ समाज, बल्कि देश को भी एक नई दिशा प्रदान कर सकता है।

वरिष्ठ पत्रकार के.पी. मलिक को अब तक मिले सम्मान उनकी सफलता को बताते हैं। बता दें कि पत्रकारिता जगत में के.पी. मलिक के नाम से मशहूर मलिक साहब का पूरा नाम कुंवर पाल मलिक है और उन्हें पिछले वर्ष उत्कृष्ट पत्रकारिता और समाजसेवा के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड ‘अटल रत्न’ और “मुंशी प्रेमचंद” पुरुस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

के.पी. मलिक का जन्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना बेल्ट के प्रमुख जिले शामली के छोटे से गांव आदमपुर के एक संपन्न किसान परिवार में हुआ और उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद कर्मभूमि दिल्ली को बनाया और पत्रकारिता के क्षेत्र में उतर गए।

के.पी. मलिक आज अपने बेबाक़ लेखों, रिपोर्ट्स और समाजसेवा की भावना के दम पर न केवल अपने गाँव और दिल्ली में बल्कि पूरे देश में एक चर्चित नाम हैं। उनकी पत्रकारिता के अनेक पहलू हैं; लेकिन वह अपने लेखों में ग़रीबों, किसानों, मज़दूरों और पीड़ितों के पक्ष में खुलकर अपनी आवाज़ बुलंद करते रहते हैं। इसके साथ ही वह युवा पत्रकारों के लिए सच्ची और सकारात्मक पत्रकारिता के प्रेरणास्रोत भी बन चुके हैं। दिल्ली के राजनीतिक गलियारों और लुटियंस जोन में के.पी. मलिक के लेखों की धमक और अच्छी पकड़ उनकी प्रतिष्ठा में चार चाँद लगाती है।

के.पी. मलिक की शुरुआती शिक्षा उनके गाँव में ही हुई, जिसके बाद उन्होंने स्नातक की शिक्षा शामली के वैश्य डिग्री कॉलेज से प्राप्त करके देश के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थान माखनलाल चतुवेदी पत्रकारिता संस्थान, भोपाल से टेलीविजन वीडियो तकनीकी डिप्लोमा और नई दिल्ली के भारतीय विद्या भवन दिल्ली से पत्रकारिता का कोर्स किया।

के.पी. मलिक ने अपने करियर की यात्रा टेलिविजन से ही शुरू की, लेकिन लिखने में रुचि होने के कारण उन्होंने बाद में प्रिंट मीडिया से जुड़े और आज प्रिंट मीडिया के साथ-साथ टेलिविजन के माध्यम से देशभर में अपने विचारों को पहुँचा रहे हैं। के.पी. मलिक कहते हैं कि उनकी ताक़त उनका सच है, जो उन्हें ग़रीबों, किसानों, मज़दूरों और पीड़ितों की आवाज़ उठाने की हिम्मत देता है और इसी सच के दम पर गाँव, शहर से लेकर पूरे देश में उनका मान-सम्मान बढ़ा है, जो उनके लिए गौरव की बात है।

के.पी. मलिक ने दैनिक भास्कर से पहले देश के कई जाने-माने मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं, जिनमें दूरदर्शन, बीबीसी टीवी, जी न्यूज, सहारा समय और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे बड़े-बड़े संस्थान शामिल हैं। काफी व्यस्तता के बाद के.पी. मलिक पत्रकारिता के साथ-साथ समाजसेवी कार्यों में सक्रिय रहते हैं। के.पी. मलिक के पिता स्वर्गीय चौधरी श्याम सिंह मलिक एक किसान थे और संयुक्त परिवार में रहकर खेती करने के अलावा अपने सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा की तरफ़ उनका विशेष ध्यान रहता था। यही कारण है कि के.पी. मलिक भी अपनी संस्कृति और संस्कारों में पूरी तरह रचे-बसे हैं।

आज भी के.पी. मलिक के भाई शिक्षित होने के बावजूद गाँव में रहकर खेती-बाड़ी सँभालते हैं और जब भी समय मिलता है, तो के,पी, मलिक भी अपने गाँव जाकर अपने खेतों में लहलहाती फ़सलों को देखने पहुँच जाते हैं। रिश्तों में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले के.पी. मलिक का दोस्ताना व्यवहार उनकी पहचान है। दिल्ली में अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का पूरी तरह निर्वहन करने वाले मलिक पत्रकारिता से इतनी बारीक़ी से जुड़े हुए हैं कि उनके दोनों तरफ़ के जुड़ाव को उनसे अलग नहीं किया जा सकता।

आज अपने बेबाक़ लेखों और रिपोर्ट्स की वजह से के.पी. मलिक युवा पत्रकारों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। लगभग दो दशक से अधिक समय से के.पी. मलिक देश की राजधानी दिल्ली में निवास करते हुए भी जमीन से जुड़े आदमी हैं और हर तरह की ख़बरों के साथ-साथ राजनीतिक घटनाक्रमों और हालातों पर पैनी नजर रखते हैं।

मीडिया में तमाम उतार-चढ़ाव बड़े क़रीब से बारीक़ी से देखने वाले के.पी. मलिक बताते हैं कि वर्ष 2001 में हुए संसद हमले के वह चश्मदीद गवाह हैं, जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर उस घटना को कवर किया। के.पी. मलिक का संसद को कवर करने का लंबा अनुभव रहा है। वह हमेशा सरकार और मीडिया संस्थानों से पत्रकारों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं।

दैनिक भास्कर में राजनीतिक संपादक का पदभार सँभालने के अलावा के.पी. मलिक पत्रकारों की प्रतिष्ठित संस्था नेशनल यूनियन जर्नलिस्ट (इंडिया) से संबद्ध ‘दिल्ली पत्रकार संघ के महासचिव, प्रेस एसोसिएशन आफ इंडिया के कार्यकारी सदस्य एवं दिल्ली के प्रसिद्ध प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के सम्मानित सदस्य हैं।

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