विडम्बना : मजदूरों को ही नहीं पता है मजदूर दिवस का महत्व

विडम्बना
मजदूरों को ही नहीं पता है मजदूर दिवस का महत्व।
रिपोर्टर गौरव गुप्ता। हल्दूचौड़
श्रम विभाग की उदासीनता के चलते मजदूरों पर हो रहे शोषण को रोकने, उनके अधिकार व उनकी सुरक्षा का ध्यान रखने वाले शायद अपने कर्तव्य से विमुख होते जा रहे हैं।
शायद इसीलिए 1 मई 1920 से अखिल भारतीय ट्रेंड यूनियन (एआईटीयूसी) के तत्वाधान में मनाए जाने वाले मजदूर दिवस का महत्व मजदूरों के आज तक समझ में नहीं आया है। आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के मौके पर हल्दूचौड़ क्षेत्र सोयाबीन फैक्ट्री परिसर के गोदामों में संचालित तमाम संस्थानों में कार्यरत मजदूरों के लिए यह दिवस महज ओपचारिक रहा, यहां प्रातः काल से रोज की भांति अपने कार्य में निकले किसी भी दिहाड़ी मजदूर नहीं पता था कि आखिर मजदूर दिवस है क्या? और इसका उनसे क्या संबंध है?
जब उन्हें बताया गया कि एक मई को ‘अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस’ मनाया जाता है और एक्ट के मुताबिक आज के दिन राज्य के समस्त औद्योगिक एवं वाणिज्यिक संस्थानों के नियोजकों से और राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों के प्रबंधकों से अपील की गई थी कि वे 1 मई को सवैतनिक अवकाश घोषित करें वावजूद इसके यहां कुछ निजी कंपनी संचालकों के द्वारा आज भी हर रोज की तरह ही तेज धूप में श्रमिको से कार्य लिया गया।
मजदूर दिवस पर छुट्टी चाहने वाले कुछ श्रमिको ने नौकरी से निकाले जाने के भय से नाम उजागर न किए जाने की शर्त पर स्थानीय मीडिया कर्मियों को उक्त जानकारी दी मामले की पड़ताल करने पर ऐसा मामला प्रकाश में आया कि जो श्रमिकों के अधिकारों और उनके कल्याण के प्रति चिंता का विषय है। मजदूर दिवस की जानकारी तमाम लोगों को होगी, लेकिन जिनके लिए यह दिवस मनाया जाता है, इसकी जानकारी यहां कार्यरत तमाम मजदूरों को नहीं थी।
सोयाबीन फैक्ट्री परिसर में संचालित कुछ कम्पनियों में तैनात मजदूरों से जब इस दिवस के बारे में चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि मजदूर दिवस मनाने से भी हमें क्या मिल रहा है? हम तो पहली बार सुन रहे हैं कि ऐसा भी कोई दिवस मनाया जाता है. अगर एक दिन मजदूर दिवस मनाने के चक्कर में काम पर नहीं आएंगे तो हो सकता है अगले दिन से काम की ही छुट्टी हो जाए उनका कहना था कि शाम तक जो कमा लेते हैं उसी से खर्चा चलता है रोज कमाना और रोज का खाना उनकी दिनचर्या में शामिल है ,उनके लिए तो रोज मजदूरी मिलना ही सही मायने में मजदूर दिवस है जिस दिन मजदूरी नहीं करेंगे उस दिन उन्हें भूखे रहना पड़ेगा।