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दुर्घटनाओं को दावत दे रहे सड़क के दोनों और खड़े ओवरलोड ओवरहाइट वाहन “जिम्मेदार मौन

दुर्घटना को दावत दे रहे सड़क के दोनों और खड़े वाहन

कहवात! ‘सड़कें बनी, गाड़ियां चली, मुश्किल डगर आसान हुई’…खुशियों वीरान

लालकुआं से गौरव गुप्ता : कोतवाली क्षेत्र के अन्तर्गत वीआईपी गेट समीप राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवैध रूप से खड़े सेचुरी पेपर मिल को आने जाने वाले ओवरलोड़ एंव ओवरहाइट वाहन दुर्घटना को दावत दे रहे है। इन वाहनों के आधे हाइवे पर खड़े रहने से अक्सर दुर्घटना होती रहती है और दुर्घटनाओं में न जाने कितनी जिंदगियां चली गई है।

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दुर्घटना हो जाने पर पुलिस कागजी कार्यवाही कर मामले को ठन्डे बस्ते में डाल देती है। पुलिस यह पता करने की जहमत नही उठाती की आखिर दुर्घटना का कारण क्या है।जबकि हकीकत में दुर्घटना का कारण अवैध रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग पर खड़े ओवरलोड़ एंव ओवरहाइट ट्रक व अन्य वाहन ही होते है।

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हाइवे के दोनों ओर खड़े वाहनो की वजह से हाइवे पर चल रहे अन्य वाहन नही निकल पाते है जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थानीय पुलिस की चेक पोस्ट चौकी भी है जहां पुलिस हमेशा बैठती दिखाई देती है पुलिस को तो दुर्घटना व तहरीर का इंतजार रहता है कि कब दुर्घटना हो और तहरीर मिले ताकि कार्यवाही की जा सके।जबकि स्थानीय ग्रामीणो का कहना है कि यदि पुलिस सही समय पर दुर्घटना होने वाले कारणों पर ध्यान दे तो दुर्घटना होने से बचाया जा सकता है।

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बता दें जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते कोतवाली क्षेत्र के वीआईपी गेट समीप राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों लावारिस हालत में खड़े औवरलोड एंव ओवरहाइट वाहन कब मौत को दावत दे दें तय नहीं है इन खड़े वाहनों से आए दिन भोर व रात में अक्सर सामने या पीछे से आकर वाहन टकरा जाते हैं कहने को तो संबंधित कोतवाली के यातायात सिपाहियों को रात व दिन में हाइवे से ट्रक हटाने के निर्देश दे रखे हैं लेकिन वह भी कभी कभार ही डयूटी करते दिखाई देते है।

राष्ट्रीय राजमार्ग पर वीआईपी गेट के समीप सेचुरी पेपर मिल के सामने हाईवे के दोनों ओर खड़े किए जाने वाले ओवरलोड़ एंव ओवरहाइट वाहन हादसों का कारण बन रहे हैं इन वाहनों में न तो पार्किंग लाइट जलाई जाती है और न ही रेडियम रिफलेक्टर लगे रहते हैं जिससे कोई भी दूसरी गाड़ी आकर टकरा जाती है इसके बाद भी जिम्मेदारों का इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है लगता है जिम्मेदार किसी बड़ी घटना के इंतजार में है।

एक कहवात है कि ‘सड़कें बनी, गाड़ियां चली, मुश्किल डगर आसान हुई’ यह पता ही नहीं चला सड़क पर खड़े एक वाहन ने कब जिन्दगी की खुशियों को कर दिया वीरान।

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