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आज 2000 के नोट जमा करने का आखिरी अवसर
देहरादून– दो हजार का गुलाबी नोट अब एक दिन का ही मेहमान रह गया है । 30 सितंबर के बाद बैंकों में इसे बदला नहीं जा सकेगा ।
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यदि आपके पास दो हजार का नोट है तो उसे बैंक शाखा में बदलवा सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मई में दो हजार रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का फैसला लिया था ।
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इसके लिए लोगों को 30 सितंबर तक का समय दिया गया। शुरुआत में बैंकों नोट जमा कराने के लिए काफी भीड़ रही, लेकिन धीरे-धीरे लोगों का बैंक आना बंद हो गया।
पेट्रोल पंपों पर भी दो हजार के नोट से लोगों ने तेल भरवाया। शुक्रवार को दून के विभिन्न बैंकों में कहीं भी कोई व्यक्ति दो हजार का नोट बदलवाने नहीं पहुंचा। हालांकि, बाजार में बीते कुछ समय से दुकानदार दो हजार का नोट नहीं ले रहे थे ।
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कुछ ऑनलाइन कंपनियों ने भी दो हजार का नोट नहीं लेने का सर्कुलर पहले जारी कर दिया था। लीड बैंक मैनेजर संजय भाटिया ने बताया, अब नोट बदलने वाले लोगों की संख्या न के बराबर है।
गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक 1 अक्टूबर से निर्देश होगा लागू.
नई दिल्ली. जन्म प्रमाण पत्र को सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर पर इस्तेमाल करने को लेकर बड़ा फैसला सामने आया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक जन्म और मृत्यु का पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम 2023 आगामी 1 अक्टूबर से लागू हो जाएगा. इस संशोधित कानून के लागू होने से कई महत्वपूर्ण कामों में बर्थ सर्टिफिकेट सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर पर इस्तेमाल होगा. जैसे कि शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता सूची तैयार करने, आधार संख्या, विवाह पंजीकरण और सरकारी नौकरी में नियुक्ति के लिए एकल दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल होगा.
बता दें कि संसद के दोनों सदनों ने हाल ही में बीते मानसून सत्र के दौरान जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया गया था. बीते 7 अगस्त को राज्यसभा में इस संशोधित विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया था. वहीं लोकसभा में 1 अगस्त को पारित हुआ था. जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 के अस्तित्व में आने के 54 वर्षों बाद पहली बार इसमें संशोधन हुआ है.
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने विधेयक पेश करते हुए कहा था कि सामाजिक परिवर्तन और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने एवं इसे अधिक नागरिक अनुकूल बनाने के लिए संशोधन की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि राज्य सरकारों, जनता और अन्य हितधारकों के साथ इस बारे में सलाह ली गई थी.