उत्तराखंड के इस युवक को क्यों मांगनी पड़ी इच्छा मृत्यु, मित्र पुलिस क्यों तरस्त हुआ युवक
सेवा में, दिनांक-22.08.2023
महामहिम राष्ट्रपति ,
भारत सरकार।
विषय- मुकदमा एफ0आई0आर0 नम्बर-190/2021 धारा-420/467/468 आई0 पी0 सी0 बनाम राकेश अग्रवाल आदि की विवेचना में विवेचकों द्वारा बिना किसी स्थानीय निकाय के अधिनियम व विधान के अध्ययन किये बिना ही आनन-फानन में अभियोग का निस्तारण किये जाने विषयक।
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महोदय,
सादर अवगत कराना है कि प्रार्थी द्वारा कोतवाली लालकुंआ में आरोपी राकेश अग्रवाल आदि के विरूद्व दिनांक 05.06.2021 को धारा-धारा-420/467/468 आई0पी0सी0 पंजीकृत कराया गया था जिसमें प्रारम्भिक विवेचक से लेकर वर्तमान विवेचक द्वारा राजनैतिक एवं उच्चधिकारियों गणों व पुलिस विभाग के विवेचक स्तर के अधिकारियों एवं पूजिपतियों के दबाव में आकर अभियोग में मुझ शिकायतकर्ता/प्रार्थी द्वारा अंकित शिकायतों का सम्बन्धित प्रकरण के सम्बन्ध में विभागीय नियमावलियों व विधान तथा अधिनियमों के गहन अध्ययन किये बिना ही अपराधिक प्रकरण को देखते हुये बिना किसी अधिकारी विभागाध्यक्ष व काननू विद्ध कि राय लिये बिना ही प्रकरण को गंभीरता से लिये बिना ही निस्तारण किया जा रहा है जो कि न्यायहित में उचित प्रतीत नही होता हैं जो गलत हैं।
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महोदय मुझ शिकायतकर्ता /प्रार्थी द्वारा सम्बन्धित प्रकरण में पूर्व विवेचकों एवं वर्तमान विवेचक की कार्यवाही एवं विवेचना से सहमत ना होते हुये सम्बन्धित सुपरविजन अधिकारियों को अवगत कराते हुये अपनी शिकायत भी अंकित करायी गयी। महोदय इससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि महोदय एवं सम्बन्धित विभागाध्यक्षों द्वारा निर्गत किये गये दिशानिर्देश एवं आदेशों की सरासर अंदेखी की जा रही और कानून की धज्जिया उडाई जा रही है जो उचित एवं न्याय संगत नही है। इसी वजह से गरीब एवं आम आदमी को न्याय से वंछित होना पड रहा है जो गंभीर सोचनीय विषयक हैं। कानून क्या पूजिपति, रसूखदार, राजनितिक एवं पदासिन अधिकारियों बवोती है?
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महोदय उक्त पंजीकृत विषय में स्वयं मेरे विवेचकों/उच्चधिकारियों से नियम निर्गत कानून के सम्बन्ध में वार्ता करते हुये सत्यता एवं गुण-दोष के आधार पर जांच करते हुये निर्णय पर पहुचने हेतु कईबार आग्रह किया जा चुका हैं तदोउपरान्त भी समस्त विवेचक किन कारणों से कानून एवं नियमों की अवहेलना कर रहे है। मैं इस बात को समझ नही पा रहा हूॅ। प्रार्थी अब न्याय की गुहार लगाते-लगाते थक चुका है जिस कारण प्रार्थी का कानून से विश्वास उठता जा रहा है।
महोदय प्रार्थी इन समस्त परेशानियों से थकहार चुका है जिस कारण प्रार्थी अपनी परेशानी को लेकर महोदय के शरण में आने के लिए मजबूर हो गया हैं।
प्रार्थी को अब भी यदि न्याय से वंछित किया जाता है तो प्रार्थी अपनी इच्छा मृत्यु की महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार से मांग करता हूॅं इस प्रकार की लाचारी व मजबूर होकर जीने से अच्छा है कि अपनी मौत को गले लगा लूॅ। जिससे कि विवेचकों, अधिकारीगणों, व राजनितिज्ञों को मुझसे मुक्ति मिल सकें।
महोदय मेरी मृत्यु के लिए सभी विवेचक एवं अधिकारीगण उत्तरदायी होगें यह लेख में स्वेच्छा से अपने होशों हवाश में विवेचको एवं अधिकारियों की घोर लापरवाही व कानून की धज्जियॉ उडाने के कारण लिख रहा हूॅ।
धन्यवाद,
प्रार्थी
सतीष कुमार पुत्र स्व0 मंगल सेन
वार्ड नं0-3 जवाहर नगर
लालकुंआ, जिला नैनीताल
उत्तराखण्ड।
प्रतिलिपि-
1- प्रधानमंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली को सूचनार्थ प्रेषित।
2- महामहिम राज्यपाल, उत्तराखण्ड को सूचनार्थ प्रेषित।
3- मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड सरकार को सूचनार्थ प्रेषित।
4- पुलिस महानिदेशक, देहरादून को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही
हेतु प्रेषित।
5- अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था देहरादून को सूचनार्थ एवं
आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित।
6- उप महानिरीक्षक, कु0 परिक्षेत्र, नैनीताल को सूचनार्थ प्रेषित।
7- वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक, नैनीताल को सूचनार्थ प्रेषित।
8- अपर पुलिस अधिक्षक, हल्द्वानी को सूचनार्थ प्रेषित।
9- पुलिस क्षेत्राधिकारी, लालकुंआ को सूचनार्थ प्रेषित।
10- कुमायूॅ आयुक्त, नैनीताल को सूचनार्थ प्रेषित।