बकरा-ईद की तैयारियां जोरों पर! अजमेर, राजस्थान से पहुंचे बकरे
Bakra-Eid preparations in full swing! Goats arrived from Ajmer, Rajasthan

Bakra-Eid preparations in full swing! Goats arrived from Ajmer, Rajasthan
रिपोर्ट – मुकेश कुमार- हल्द्वानी : ईद-उल-अजहा (बकरीद) के लिए बकरों के बाजार सज चुके हैं। बकरीद पर मुस्लिम समाज के द्वारा बकरा, भैंस, दुमबा पर कुर्बानी की जाती हैं। शहर की लाइन नं 8 इन दिनों शाम से ही गुलजार नजर आ रही है और लोग कुर्बानी के लिए बकरों का चयन करने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।
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मुस्लिम समुदाय के सबसे खास त्योहारों में से एक बकरा ईद आगामी 29 जून को है हर कोई अपनी सामर्थ्य के अनुसार बकरे खरीद रहा है। इसके लिए शहर के लाइन नंबर 8 में बकरा मंडी लगने से अलग-अलग नस्लों के बकरे यहां पर बिकने के लिए पहुंच चुक हैं। अजमेर,राजस्थान और यूपी से तमाम पशुपालक यहां अपने बकरों को लेकर पहुंचे हैं, जबकि कुमाऊं भर के लोग यहा बकरा खरीदने पहुंच रहे हैं।
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बकरा ईद पर बकरों की बढ़ती मांग से बकरा पालकों के वारे भी न्यारे हो रहे हैं। आमतौर पर देखा जाए तो एक बकरा करीब 10 से 12 हजार में आ जाता है, लेकिन बकरा ईद त्यौहार पर इसकी कीमत इसके वजन और कद काठी के अनुरूप बढ़ जाती है। जिस पर बकरा पालकों की भी अच्छी कमाई हो जाती है।
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बकरा पालकों ने बताया कि एक बकरा-बकरी को तैयार करने के लिए लगभग 1 वर्ष लगता है। यहां आपको 12 हजार से लेकर एक लाख तक के बकरे मिल जाएंगे। फिलहाल सुल्तान नामक बकरे की एक लाख की किमत लग चुकी है जबकि इससे नीचे करीब बीस से 50 हजार तक के बकरों की ज्यादा मांग है।
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ख्वाजा मस्जिद के इमाम मोहम्मद दानिश का कहना है कि रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद ईद-उल-अजहा मनाया जाता है।इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है।